Book Title: Ashtmangal Aishwarya Author(s): Jaysundarsuri, Saumyaratnavijay Publisher: Jinshasan Aradhana Trust View full book textPage 9
________________ भी होगा। इस के लिए योग्य समय पर योग्य महात्मा या व्यक्ति, श्री संघ के पुण्यबल पर मिल जायेंगे ऐसी हार्दिक संवेदना और आंतरिक विश्वास है। * पूज्यपाद सुविशाल गच्छाधिपति आ.भ.श्रीमद्विजय जय घो षसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न संघशासनकौशल्याधार तर्क निपुण आ.भ.श्रीमद्विजय जयसुंदरसूरीश्वरजी महाराजाने प्रस्तुत पुस्तिका का संशोधन कर के उसकी प्रामाणिकता में विशेष वृद्धि की है, इस के लिए मैं उनका ऋणी हुँ। * पूज्यपाद गच्छाधिपतिश्रीके आषाढ वदि-2, वि.सं. २०७३ के ८२वें जन्मदिन निमित्त पूज्यश्री सहित सकलश्री संघ के करकमलमें प्रस्तुत द्वितीयावृत्ति पुस्तिका पुष्प समर्पित करतें धन्यता अनुभूत होती है। जिनाज्ञाविरुद्ध कुछ लिखा गया हो तो मिच्छामि दुक्कडम् । आषाढ वदि-2, वि.सं. २०७३, -मुनि सौम्यरत्न विजय ३८वाँ जन्मदिन, साबरमती, अहमदाबाद BAHADU ILON STARDENT KAR TEPHETAH T amindian मथुराप्राप्त २००० वर्ष प्राचीन अष्टमंगलयुक्त आयागपट्टPage Navigation
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