Book Title: Ashtmangal Aishwarya
Author(s): Jaysundarsuri, Saumyaratnavijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 13
________________ हस्तप्रतो में अष्टमंगल सुशोभन जो जीव को संसार से मुक्ति दिलाये वो मंगल और जिसके द्वारा पूजा हो वो भी मंगल। अ-3 मंगलः अनेक स्वरूप में अनेक प्रकार में अरिहंत परमात्मा सर्वोत्कृष्ट मंगल स्वरुप है। उनका नाम स्मरण, जप, जिनप्रतिमा तथा 8 प्रातिहार्य भी मंगल है। प्रभुमाता को आये हुए 14 स्वप्न तथा जिनपूजा के उपकरणें भी मंगलस्वरुप है। स्वप्नशास्त्र में दिखाएं गये 14 महास्वप्न, विविध शुभ मुद्राएं, चैत्यवृक्षादि कुछ वृक्ष इत्यादि भी मंगलस्वरुप है। मनुष्य के शरीर में विशेष कर हाथ-पाँव के तलवें में भिन्न-भिन्न रेखाओं की आकृतिओं को देखा जाता है। महापुरुष के शरीर में 32 उत्तम चिह्न और 80 लघु चिह्न थोड़ी-बहुत मात्रा में देखने को मिल सकतें हैं, जो भी मंगलस्वरुप है। श्री जीराउला पार्श्वनाथ मंगल व्यक्तिरुप या खाद्यपदार्थ रुप भी होता है । फल या घासरुप, वाजिंत्र या पक्षी के ध्वनि स्वरुप भी होता है, वैसे मंगल आकृति स्वरुप भी होता है। अष्टमंगल मे स्वस्तिक, श्रीवत्स, नंद्यावर्त और मीनयुगल आकृति मंगल स्वरुप है। वर्धमानक, भद्रासन, पूर्णकलश और दर्पण आकृतिमंगल होते हुए वस्तुमंगल भी है।

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