Book Title: Arhan Mahapujan tatha Poshtik Mahapujan
Author(s): Vardhamansuri, Anantchandra,
Publisher: Shantilal Himaji Jasaji Mutha
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महन्महाजनविधिः
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ॐघ घ घं नमो यमाय धर्मराजाय दक्षिणदिगधीशाय समवर्तिने धर्माधर्मविचारकरणाय कृष्णवर्णाय चर्मावरणाय महिपवाहनाय दंडहस्ताय श्रीयम सायुध सवाहन सपरिच्छद इह० शेषं पूर्ववत् ॥३॥ निक्रति प्रति--
प्रेतान्तप्रोतगंडप्रातकडितलडुन्मुंडितामुंडधारी, दुर्वारीभूतवीर्याध्यवसितलसितापायनिर्घातनार्थी । कार्यामर्शप्रदीप्यत्कुणपकृतबदोन ऋतेाप्तपार्श्व-स्तीर्थेशस्नात्रकाले रचयतु नितिर्दुष्टसंघातघातम् ॥ ४ ॥
ॐ हू स् क ल ह्रीं नमः ह्रीं श्रीं निर्ऋतये नैर्ऋतदिगधीशाय धूम्रवर्णाय व्याघ्रचर्मावृताय मुद्गरहस्ताय प्रेतवाहनाय श्रीनिर्ऋते सायुध सवाहन सपरिच्छद इह० शेषं पूर्ववत् ॥ ४ ॥ वरुणं प्रति
कल्लोलोल्बणलोललालितचलनालंबमुक्तावली-लीलालंभिततारकाढयगगनः सानन्दसन्मानसः । स्फूर्जन्मागधसुस्थितादिविबुधैः संसेव्यपादद्वयो, बुद्धिं श्रीवरुणो ददातु विशदां नीतिप्रतानाद्भुतः ॥५॥
ॐ नमः श्रीवरुणाय पश्चिमदिगधीशाय समुद्रवासाय मेघवर्णाय पीताम्बराय पाशहस्ताय मत्स्यवाहनाय श्रीवरुण सायुध सवाहन सपरिच्छद इह० शेषं पूर्ववत् ॥ ५॥ वायु प्रति--
ध्वस्तध्वान्तध्वजपटलटल्लम्पाटंकशंकः, पंकवातश्लथनमथनः पार्श्वसंस्थायिदेवः । अर्हत्सेवाविदलितसमस्ताघसंघो विदध्यात् , बाह्यान्तस्थप्रचुररजसां नाशनं श्रीनभस्वान् ॥६॥
द्वितीयदिने
प्रातः करणीयः
श
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