Book Title: Arhan Mahapujan tatha Poshtik Mahapujan
Author(s): Vardhamansuri, Anantchandra, 
Publisher: Shantilal Himaji Jasaji Mutha

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Page 142
________________ श्री ौष्टिक हापूजन बेधिः । १२८॥ POARKARO चक्र केतौ दशशतविशिष्टारयुक्तं दधानः, श्वेतः श्वेतं गुणगणमलंकाररूपं करोतु ॥१९॥ ॐ नमः श्री श्वेताय कूष्माण्डव्यन्तरेन्द्राय श्री श्वेत.......। ५० श्री महाश्वेतेन्द्रपूजनम् वलक्षं स्वदेहं वसनमपि विभ्रध्वजपट-प्रतिक्रीडच्चक्रोन्मथितरिषुसंघातपृतनः । लसल्लीलाहेलादलितभविकापायनिचयो, महाश्वेतस्त्राता भवतु जिनपूजोत्सुकधियाम् ॥५०॥ ॐ नमः श्री महाश्वेताय कुष्माण्डव्यन्तरेन्द्राय श्री महाश्वेत.......। ५१ श्री पतगेन्द्रपूजनम् विमलविद्रुमविभ्रमभृत्तनु-र्धवलवस्त्रसमर्पितमङ्गलः । वरमरालमनोहरकेतनः, पतगराः परिरक्षतु सेवकान् ॥५१॥ ॐ नमः श्री पतगाय पतगव्यन्तरेन्द्राय श्री पतग.......। ५२ श्रीपतगरतीन्द्रपूजनम्-- पतगरतिरवाप्तपद्मरागच्छवि-रतिशुभ्रसिचाविचार्यशोभः । प्रगुणितजनसंसहंसकेतुः, किसलयतां कुशलानि सर्वकालम् ॥५२॥ ॐनमः श्रीपतगरतये पतगव्यन्तरेद्राय श्रीपतगरते...। AESAS SASRA-% ।। १२८॥ Jain Edu L emnational For Personal & Private Use Only Mainelibrary.org

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