Book Title: Arhan Mahapujan tatha Poshtik Mahapujan
Author(s): Vardhamansuri, Anantchandra, 
Publisher: Shantilal Himaji Jasaji Mutha

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Page 139
________________ ष्टिक हापूजन बेधिः । १२५॥ फलहस्तवानरवरिष्ठकेतुभाग , धाता दधातु विभुतामनिन्दिताम् ॥३९॥ ॐ नमः श्री धात्रे पणपन्निव्यन्तरेन्द्राय श्री धातः......। ४० श्री विधातादेवेन्द्रपूजनम् आरगवधाङ्गकुसुमोपमकायकान्ति-ौचादलप्रतिमवस्त्र विराजमानः । केतुप्रदृप्तवरवानरचित्तहारी, विश्वं विशेषमुखितं कुरुताद्विधाता ॥४०॥ ॐ नमः श्री विधात्रे पणपन्निव्यन्तरेन्द्राय श्री विधातः........। ४१ श्री ऋषीन्द्रपूजनम् चन्द्रकान्तकमनीयविग्रहः, सांध्यरागसममम्बरं वहन् । कुंभविस्फुरितशालिकेतनो, भूरिमङ्गलमृषिःप्रयच्छतु ॥४१॥ ॐ नमः श्री ऋषये ऋषिपातव्यन्तरेन्द्राय श्री ऋषे.......। ४२ श्री ऋषिपालेन्द्र पूजनम् कृतकलधौतशंखाब्धिफेनेश्वर-स्मितसमश्लोकगुणवृन्दहसंवरः । साधुबन्धुकबन्धुप्रकृष्टाम्बरः कुम्भकेतुः स ऋषिपालदेवेश्वरः ॥४२॥ ARASHISHINGAARAPE ।।१२५॥ in Educ a tional For Personal & Private Use Only ww.jainelibrary.org

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