Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 22
________________ प्रांताइ] ( १७ ) [प्रावण Dawn. "आभासे संगारो अमुई वेलाए सोमणाने. सुनकर. Having heard. निग्गए ठाणं " पिं० नि. भा० ६१ नाया. १६) प्रांताइ. त्रि. (प्रान्तादिन्-प्रान्तेभवमान्तं प्राकन्न. धा• I. (आ+कर्ण) सineg. मुक्तावशेषं तदात्तमत्ती येवंशील प्रान्तादी) सुनना. To hear. ખાતાં પીતાં બાકી રહેલ આહાર લેનાર, श्रायनइ. सु. च. १४, ४६. ( साधु). ओरों के खाते बचे हुए श्रहार प्रायनंत. व. कृ. सु.च. २,११७ को साने वाला, (साधु).(Anascetic) मायमित्र. सं. कृ. सु. न. २. ७१% who eats the remuants of food पायनिऊण. सं. कृ. सु. च. ७, १६ taken by others. पंचा. १८, ३६; पाकह्मिय. त्रि. ( श्राकस्मिक-अकस्माचभांदोलिर. (* पान्दोलिन् ) पनशान. द्भवति तदाकस्मिकम् ) 241 , सतु; कंपनील; कांपनेवाला. Trembling; of रिश कारन. आकस्मिक अचानक; बिना aquaking nature. सु. च० २.६५४; कारण के. Accidental; without any Vाकंख. धा• I (मा+कांतू) U-; Assignable cause. “बम निमि. साक्षा॥५वी. इच्छाकरना: आकांक्षा रखना. ताभावा जंभवमाकम्हियं " विशे० ३४५१; To wish; to desire. प्राकंखी. वि. आकार. पुं० (श्राकार) माति; यहे; "निम्बुरे काजमाकंखी" सय० १, ११ ३८; १२. श्राकार; चेहरा; डील डौल. Form; माकंखिर.वि. (* म कांक्षिन् ) साक्षा ३२. shape; figure; face. सू. ५० २०; ना२;माक्षशीद, भाकोश करने वाला. भोव. निसी. ७, ३८: उवा० २, ६०; ६; Que who wishes or desires, आकासफलोवमा.स्त्री. (श्राकाशफलापमा) सु. च. २, ३२८ Vाकंप. धा. I (आ+कम्प) माराधना माघ-भावानो मे पदार्थ. खानेका एक पदार्थ. An entable suhstance; a १२वी. अाराधना करना. To adore; to substance used as food जं.पं. worship. (२) सन्भु५ २. सन्मुख रहना. to remain face to face; १, ११, to remain in one's presence. श्राकासिपा. स्त्री. ( श्राकाशिका ) माघ श्राकंपइत्ता. सं. कृ. भग• २५, ७; विशेष; पायानो से पार्थ. खाने का एक प्राकट्ट. त्रि. ( प्राकृष्ट) सामे येस. सामने पदार्थ. A kind of food; & sulh-- की ओर खींचा हुआ. Drawn towards. stance used as food. जं.पं.१,११६ परह. १,१; आकिइ. स्त्री. (प्राकृति) आ॥२, माति आकड्ढ. त्रि. (आकर्ष) सामे मेंय ते. हेपाय. प्राकृति; रुपरग; दृश्य. Form; सन्मुख खींचना. Drawn towards.. shape; appearance. सम. भग० ३, १;-विकदि. ना. (-विकृष्टि) आकिंचण. न. ( श्राकिं वन्य--प्रकि. આમતેમ ખેંચવું તે, ખેંચાખેંચ કરવી તે. ] धनस्थभाव आकिंचभ्यम् ) पश्मि रहिन इधर उधर खींचना. pulling in differ- | પણું, સુવર્ણ આદિ પરિગ્રહને અભાવ. ent directions. भग. ३,१,१५,१B परिग्रह राहतत; परिग्रह का अमाव. प्राकरिणता सं. कृ. अ. (भाकपर्य) | Absence of worldly possessions v. 11/3. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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