Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 20
________________ पाऊणय ] ( १५ ) [श्राएस शासा; ल्यापार समयानुं स्थान शस्त्रागार; हथियार रखने की जगह. an armoury. जं. प. ३, ४३, -घरसाला. स्त्री. ( -गृहशाला) गुमेपली श६. देखो। ऊपरका शब्द. vide, “ पाउहघर" जं. ५. ३, ४३; -घारे. पुं० (-गृहिक) आयुधशासन परि-यक्ष. श्रायुधशाला का अध्यक्ष. a superintendent of an armoury. “सरणं से भाउहय रिए" ज० ५० ३, ४३, माऊणय. त्रि. (* पाऊनक-ईषदूनक) Us साधु; Bej. कुछ कम. Somewhat less. भग० २५, , भाऊसिय. त्रि.( * ) प्रवेश रेस. प्रविष्ट. Entered. " पाउसियवयणगंडदेसं " नाया• ८; (२) सथित. संकुचित. contracted. “ पाऊसिय अखचम्म उगंरदेस" नाया ८; आएन. त्रि० (प्रादेय ) महशु ४२५। योय; | माननीय. ग्रहण करने योग्य; मानने योग्य. Worth being accepted or taken. जं. प. के. ५. ७, ८; -वयण. न• (-वचन ) माननीय पया. मानने योग्य वचन. words worth accepting. उत्त० ३६,६% श्राएस. त्रि. (*प्रा+इष्यत्-एण्यत् ) मातु: मावचा. आता हुश्रा. Coming. "पाएसा विभवंति सुब्वया" सूय. १, २, ३, १६; भाएस. पुं. (श्रादेश-श्रादिश्यते प्राज्ञाप्यते सम्भ्रमण परिजनो यस्मिशागते तदासिथे. यायतदाशनदानादिव्यापारे स आदेशः ) पाशी; परोक्षो; भिमान. अतिथि; पाहुना. A guest. "पाएसाए समीहिए" उत्त. ७, १; ४; अोघ• नि. १४८; ६६१; ओघ०नि०भा० १४१; निसी, १०, १२, वव. ६, १; (२) प्रार; मेह: प्रकार; भेद. mode; kind. भग० ८, २; नंदी• ३६; परण• १; प्रव० ५१६; विश० ४०३: (3) विशेष; व्यति५. विशेष; व्यक्तिरूप. particular; individual. उत्त. ३६, ६; (४) भूत्र; भागमः शास्त्र. सूत्रः श्रागम; TTET. a Sūtra or scriptuie. विशे० ४०५; (५) GHI व्यय भने ग्रा०५ એ ત્રિપદી કે જે ગણધરને પ્રથમ સંભળાવपाम यावे. उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य ये त्रिपदी ओ कि गणधर को पहले कही जाती है. the three condi. tions that are first taught to a Ganadhara, riz. birth, decay and steady existence. विशे. ५५०; (६) ५५हेश; व्य . व्यपदेश; व्यवहार. denoinination; nomenclature. सूय० १, ८, ३, (७) भ; Astl. हुक्म; आज्ञा. command. मु. च. २, ४५६; पिं.नि.१८४; पंचा. ५, ४५; जीवा. १; (८) मत. मत. an opinion. " बीअोविय पाएसो ” प्रव० ८५५; -सव्वय. पुं० ( -सर्व-आदेशनमादेश उपचारोग्यवहारस्तेन सर्वमादेशसर्वम् ) १५. ચારથી સર્વ પ્રચુર અથવા પ્રધાન વસ્તુમાં સર્વને ઉપચાર કરવો તે જેમ ભોજનમાં ઘી पधारे डाय तो म0 तो मेसुंधी माधु, કોઈ જગ્યાએ મૂલ શબ્દને લગત સંસ્કૃત વેર્યાય સંસ્કૃત કોષમાં ન હોય તેવે સ્થલે સંસ્કૃતની 24 माली । वामां पी जे. जहां मूलशद का पर्यायवाचि संस्कृत शब्द नहीं मिला वहां संस्कृत शब्द की जगह खाला रखने में आई है. Blank space left in brackets indicates that no satisfactory 974 or in Sanskrit equivalent is available. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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