Book Title: Apbhramsa Bharti 2003 15 16 Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy View full book textPage 4
________________ विषय-सूची क्र. सं. विषय लेखक का नाम पृ. सं. प्रकाशकीय सम्पादकीय पउमचरिउ में डॉ. हुकमचन्द जैन 'राम का व्यक्तित्व' दीसंति सव्व णं बुह कियए महाकवि रइधू अपभ्रंश के जैन कवि श्री नीरज शर्मा धनपाल और उनका 'भविसयत्त कहा' : एक विवेचन ‘णायकुमारचरिउ' में देश-वर्णन डॉ. श्रीरंजनसूरिदेव देसु सुरम्मइ अत्थि महि महाकवि रइधू करकण्डचरिउ में भाषा-सौष्ठव डॉ. त्रिलोकीनाथ ‘प्रेमी' अपभ्रंश के जैन रासा-काव्य _डॉ. गदाधर सिंह परम्परा और प्रयोग Lord Krishna In JainKrishna-Katha Literature क इराय जीवकिउ हरिसेणचरिउ Dr. Yogendra Nath Sharma 'Arun' जहिं वंछइ णियमणम्मि कविराय जीव सम्पा.-अनु. - श्रीमती स्नेहलता जैन महाकवि रइधू महाकवि ब्रह्म जिनदास सम्पा.- डॉ. प्रेमचन्द राँवका 11. गौतमस्वामी रासPage Navigation
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