Book Title: Apbhramsa Bharti 1997 09 10 Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy View full book textPage 4
________________ विषय-सूची लेखक का नाम क्र.सं. विषय पृ. सं. प्रकाशकीय सम्पादकीय निशा अब जा रही है श्री मिश्रीलाल जैन 1. अपभ्रंश के जैन कवि और संत कबीर डॉ. सूरजमुखी जैन के दोहों में संयम की भूमिका 2. अपभ्रंश रामकाव्य-परम्परा में सुश्री मंजु शुक्ल पउमचरिउ 3. महासरं पत्तविसेसभूसियं कवि नयनन्दि 4. पउमचरिउ की लोक-दृष्टि डॉ. शैलेन्द्रकुमार त्रिपाठी 5. महासरं पत्तविसेसभूसियं अनु. - डॉ. हीरालाल जैन 6. अपभ्रंश के महाकवि त्रिभुवन डॉ. संजीव प्रचण्डिया 'सोमेन्द्र' एक परिचय 7. पुष्पदन्त के काव्य में प्रयुक्त डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया 'कवि समय' 8. सुदंसणचरिउ में सौन्दर्य और बिम्ब डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव 9. करकंडचरिउ में कथानक-रूढ़ियाँ डॉ. त्रिलोकीनाथ 'प्रेमी' 10. जंबूसामिचरिउ में अनुभाव योजना डॉ. ( कु.) आराधना जैन 'स्वतंत्र' 11. णिवेण लोएण सरवरं कवि नयनन्दि 12. संदेशरासक के रचयिता अब्दुर्रहमान श्री वेदप्रकाश गर्ग 13. हिन्दी भाषा पर प्राकृत का प्रभाव डॉ. बहादुर मिश्र 14. जत्थ य चूयकुसुममंजरिया महाकवि पुष्पदन्त 15. हिन्दी के औपम्य-विधान डॉ. प्रतिभा राजहंस पर प्राकृत का प्रभाव 16. पउमचरिउ के अनूठे तत्त्वों सुश्री मंजु शुक्ल का अप्रतिम संकलन 17. उज्जेणिहिँ सिप्पा णाम णइ अस्थि महाकवि पुष्पदन्त 18. जैन अपभ्रंश साहित्य डॉ. नीलम जैनPage Navigation
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