Book Title: Anusandhan 2005 09 SrNo 33
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ - अनुक्रमणिका महोपाध्याय श्रीयशोविजयजीनी बे रचनाओ सं. मुनि धुरन्धरविजय 01 श्री जिनमहेन्द्रसूरिजी को प्रेषित प्राकृत भाषा का विज्ञप्ति-पत्र म. विनयसागर 08 जिनभक्तिमय विविध गेय-रचनाओ सं. मुनिकल्याणकीर्तिविजय 20 महोपाध्याय श्रीमेघविजयगणिरचितः सेवालेखः । सं. विजयशीलचन्द्रसूरि 28 चित्रकाव्यानि सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय 47 रागमाला-शान्तिनाथ स्तवन ॥ सं. शी. 63 श्रीसूरचन्द्रोपाध्यायनिर्मितम् प्रणम्यपदसमाधानम् म. विनयसागर 69 ट्रॅक नोंध (१) भद्रेश्वरमा उपलब्ध बे गुरुमूर्तिओ - शी. 74 पत्रचर्चा (१) पाठक रघुपति म. विनयसागर 75 वाचक लब्धिरनगणि खरतरगच्छ के थे . म० विनयसागर 77 विहंगावलोकन-३० उपा. भुवनचन्द्र 80 विहंगावलोकन-३१-३२ उपा. भुवनचन्द्र नवां प्रकाशनो For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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