Book Title: Anjana Pavananjaynatakam Author(s): Hastimall Chakravarti Kavi, Rameshchandra Jain Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar View full book textPage 4
________________ ' श्री वीतरागाय नमः। प्रस्तावना दिगम्बर जैन ऐतिहासिक कथाओं के आधार पर संस्कृत नाटकों की रचना करने वालों में पककार हस्तिमल्ल का प्रथम स्थान है । उन्होंने अनेक नाटकों को रचना की होगी, किन्तु वर्तमान में मैथिली कल्याण, विक्रान्त कौरव, अञ्जना पवनंजय और सुभद्रा (नाटिका) ये चार नाटक ही प्राप्त होते हैं । कुछ लोगों के अनुसार उन्होंने 'अर्जुनराज नाटक ' नामक एक अन्य नाट्य ग्रन्थ की रचना की थी । भरतराज और मेघेश्वर नामक नाटक भी इनके द्वारा रचे गए कहे जाते हैं । तथापि इनके लेखक का नाम हस्तिमल्ल के स्थान पर हस्तिमल्लषेण छुपा हुआ है । चुकि हस्तिमल्लषेण नामक दूसरे नाटककार का पता अब तक नहीं चला है, इसलिए ये नाटक इन्हीं हस्तिमल्ल द्वारा लिखित होना चाहिए । विक्रान्त कौरत्र का दूसरा नाम नायक मेघेश्वर (जयकुमार) के कारण मेघेश्वर हो सकता है। हस्तिमल्ल कन्नड़ और संस्कृत के प्रौढ़ विद्वान थे । कन्नड आदिपुराण की भूमिका में कवि ने अपने आपको 'उभयभाषाकवि चक्रवती' कहा है । हस्तिमल्ल द्वारा लिखित श्रीपुराम को अक प्रति का. उ.मरता या भी । हस्तिमाल का समय - हस्तिमल्ल के समय की अववि नौदों शताब्दी ईस्वी से पूर्व की नहीं हो सकती; क्योंकि नौवीं शताब्दी में हुए आचार्य जिनसेन के आदिपुराण के आधार पर हस्तिमाल ने विक्रान्तकौरव नाटक और सुभद्रा नाटिका को रचना की थी ? ___ हस्सिमल्ल के समय की उत्तराधि चौदहवीं शताब्दी मानी जा सकती है; क्योंकि अय्यपार्य के जिनन्द्रकल्याणभ्युदय में हस्तिमल्ल का उल्लेख है । जिनेन्द्र कल्याणाभ्युदय की रचना शक संवत् 1241 (वि. सं. 1376) में पूर्ण हुई थी । __ स्व. नाथूराम प्रेमी का कहना है कि श्री जुगलकिशोर मुख्तार ने ब्रह्ममूरि को 5वीं शती का विधान माना है, ब्रह्मसूरि हस्तिमल्ल के पौत्र के पौत्र थे । ब्रह्मसूरि हस्तिमल्ल के 100 वर्ष बाद हुए होंगे । अत: हस्तिमल्न 14वीं शती में हुए है । डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन ने हस्तिमल्ल का समय 1250 स्वीकार किया है । हस्तिमल्ल द्वारा रचित अंजनापवनंजय नाटक की एक हस्तलिखित प्रति में नाटक की समाप्ति के पश्चात् प्रभेन्दुमुनि को नमस्कार किया गया है, इसी प्रकार समुद्र नाटिका की दो पाण्डुलिपियों की प्रशस्ति में प्रभेन्दु मुनि का उल्लेख वर्तमान काल की लट् लकार में 1. डॉ. कन्छेदीलाल जैन शास्त्री:रूपककार हस्तिमल : एक समीक्षात्मक अध्ययन पृ. ३३ 2. मेघेश्वरोंऽपि विस्मारयति गुणान सोमप्रभम्य - विक्रान्त कौरव पृ. २४ 3. इत्युभयभाषा चक्रवर्ती हस्तिमल्लविरचित पूर्वपुराण महाकथायां दशम पर्वम् । 4, कन्नड प्रान्तीय ताडपत्रीय ग्रन्थ सूची पृ. 148-149. 5. जैन साहित्य और इतिहास पृ. 265 6. The Jain sources of history of ludia page 228Page Navigation
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