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अंगविजापइएणयं
कल्याणकत्रयविहारविशालभद्रप्रासादपुण्यसफलौक्रियमाणवित्तः । श्रीपातसाहमाहिमुंदसमासु मान्यः सोऽयं सदाभिधसुधीः समभूदू वदान्यः ॥९॥ यस्याभंगुरभाग्यभंगिसुभगस्यादत्त वच्छेरके
त्याख्यां श्रीमदहिम्मदामिधसुरत्राणः स्वयं सोत्सवम् । दुष्प्रापानकणेऽपि यो वसुवियत्तिथ्यंकिते १५०८ वत्सरे
__ सत्रागारममंडयच्च वसुधाधारः कृपासागरः ॥ १० ॥ अपर कलत्रसुतश्रीअहिम्मदाबादनगरवास्तव्यः । गुरुसेवाकरणरतिर्देवाकः पुण्यहेवाकः ।। ११ ॥ सज्जाया लज्जायाः सदनं वदनेन विजितरजनिकरा । देवश्रीदेवश्रीरेव श्रीकारणं जयति ।। १२॥ तस्यास्तनुजत्रि जगति शुर्भात श्रीअमरदत्त इत्याख्यः । श्रीहेमसुतः सुचिरं जयति जगज्जीवजीवाकः ।। १३ ॥ तस्य प्रशस्याऽजनि मुक्तमाया जाया रमाईरित नामधेया । एवं परीवारविराजमानो मानोज्झितो राजति देवराजः ॥ १४ ॥ अनेन जैनागमभक्तिभाजा राजादिमान्येन धनीश्वरेण । वस्वग्निबाणक्षितिमानवर्षे १५३८ हर्षेण देवाभिधसाधुनाऽत्र ॥१५ श्रीमत्तपागणेंद्रश्रीलक्ष्मीसागराह्वसूरीणां । श्रीसोमजयगुरूणामुपदेशाल्लेषितः कोशः ॥ १६ युग्मम् ॥ चित्कोशचिन्ताकरणे सुधीरैः परोपकारप्रथन प्रवीणैः । गणीश्वरैः श्रीजयमंदिराह भक्त्या भृशोपक्रम एष चक्रे ॥ १७ ॥ विबुधैर्वाच्यमानोऽसौ शोध्यमान: सुबुद्धिभिः । ज्ञानकोशश्चिरंजीयादाचंद्रार्क जगत्रये ॥१८॥
॥ इति प्रशस्ति: समाप्ता || छ ।
मो० प्रति-यह प्रति पाटण श्रीहेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरस्थ मोंका मोदीके भण्डारकी है। भण्डारमें प्रतिका नम्बर १००८२ है और इसकी पत्रसंख्या १२७ है। पत्रके प्रतिपृष्ठमें १७ पंक्तियाँ और प्रतिपंक्ति १२ से १६ अक्षर लिखे गये हैं। प्रतिको लम्बाई-चौड़ाई १३॥४५। इञ्चकी है। प्रतिकी लिपि अच्छी है। शद्धिकी दृष्टिसे प्रति बहुत ही अशुद्ध है, एवं स्थान-स्थानपर पाठ और पाठसंदर्भ गलित हैं। प्रति मोदीके भंडारकी होनेसे इसका संकेत मो० रक्खा गया है। इसका समाप्ति भाग सं० प्रतिके समान है, सिर्फ लेखनकालमें फर्क है। जो इस प्रकार है-श्रीअंगविद्या पुस्तकं सम्पूर्णा ॥ ॥ ग्रंथानं ९००० ॥ छ । संवत् १६७४ वरषे मार्गशीर्ष शुद्धि १ शनी लिषापितम् ॥ छ ।
६ प० प्रति-यह प्रति मेरे निजी संग्रह की है। संग्रहमें इसका क्रमाङ्क १८ है । इसकी पत्रसंख्या १३२ है। पत्रके प्रतिपृष्ठमें १७ पंक्तियाँ हैं और प्रतिपंक्ति ५८ से १६ अक्षर हैं। प्रतिकी लम्बाई-चौड़ाई १३॥४५॥ इश्च है। लिपि सुन्दर है। इसकी स्थिति जीर्णप्राय है और उद्देहिकाने प्रतिके सभी पत्रोंको छिदान्वित
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