Book Title: Anekant 2006 Book 59 Ank 01 to 04 Author(s): Jaikumar Jain Publisher: Veer Seva Mandir TrustPage 17
________________ अनेकान्त 59/1-2 ने स्वतंत्र राज्य का स्वरूप प्राप्त कर लिया। उसकी राजधानी वैशाली हो गई, जो मुजफ्फरपुर से तेवीस मील पर स्थित है।' ___शक्ति संगम' के अनुसार गंडक नदी के तट से लेकर चंपारण पर्यन्त का स्थान विदेह अथवा तिरूमुक्ति कहा जाता था। उसके पूर्व पश्चिम तथा दक्षिण में कोसी, गंडक तथा गंगा तीन बड़ी नदियाँ हैं तथा हिमालय की तराई उत्तर की ओर है। इस क्षेत्र में मुजफ्फरपुर, दरभंगा, चंपारन, मुंगेर तथा पुरनिया ये वर्तमान जिले शामिल होते हैं।10 (वर्तमान में मुजफ्फरनगर-जिला में से वैशाली पृथक् जिला बना दिया गया है) जन्मभूमि के सम्बन्ध में पं. जी के निष्कर्ष : पं. प्रवर दिवाकर जी ने विदेह देश की उक्त-चतुर्सीमा निर्धारित कर महावीर की जन्मभूमि के सम्बन्ध में निम्न निष्कर्प ग्रहण किये “इस विश्रुत विदेह देश के कुण्डपुर में त्रिशलानन्दन का अवतरण हुआ था। कुछ लोग कुण्डपुर जिले को वैशाली नगरी का एक अंश कहते हैं। वे मुजफ्फरपुर के हाजीपुर सब डिवीजन में स्थिति बसाढ़ को वैशाली मानते हैं और उसके अंतरगत वासुकुण्ड को कुण्डग्राम कहते हैं।"] दिगम्बर जैन आगम में महावीर का नहीं, उनकी जननी प्रियकारिणी त्रिशला का भी वैशाली से सम्बन्ध पाया जाता है। (संदर्भ-हरिषेणचार्यकृत वृहत्कथा कोप श्लोक 165)।।2 श्री दिवाकर जी ने 'लाइफ आफ बुद्धा' के अनुसार वैशाली के वैभव का वर्णन पृष्ठ 121 पर किया और वैशाली को जन्मभूमि मानने की विशिष्ट परिस्थिति मजबूत बनने का उल्लेख किया जिसका आधार श्वेताम्बर आगम है। उनके इस संकेत से यह स्पष्ट है कि उन्हें जिस प्रकार मगध देश स्थित नालंदा-बड़गांव भ. महावीर की जन्म भूमि इप्ट नहीं है उसी प्रकार वैशाली भी इष्ट नहीं है। उन्होंने विदेह देश की परिसीमा में स्थित वासोकुण्ड के सम्बन्ध में अपनी असहमति व्यक्त नहीं की। उनकी यह मूक सम्मति वासोकुण्ड स्थित अढ़ाई बीघा अहल्लभूमि, वहाँ के लोक जीवन मे महावीर के दर्शन/शिक्षाओं का प्रभावPage Navigation
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