Book Title: Anekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 233
________________ 96 अनेकान्त-57/3-4 पर्युषण के दिन निकट आने पर प्रमुख श्रावक बादशाह के पास गये, उन्होंने पर्युषण के दिनों में जीव हिंसा निषेध का निवेदन किया । बादशाह ने हिंसा बन्द करने का फरमान लिख दिया । सम्वत् 1634 ( सन् 1582 ) में पर्युषण के दिनों जीव हत्या पर रोक लगा दी । अकबर ने पिंजडो में बन्द पक्षियों को मुक्त कर दिया। फतेहपुरसीकरी के डावर तालाब में मछलिया ना पकडने का आदेश दिया। अकबर को जैन सन्तो के चारित्र, विशुद्धता ने इतना प्रभावित किया कि जो शासक सवासेर चिड़ियों की जीभ प्रतिदिन खाया करता था; उसने मांसाहार का त्याग कर दिया । बादशाह अकबर और कविवर पं. बनारसीदास :- कविवर बनारसीदास बादशाह अकबर के स्नेहपात्र थे । कविवर बनारसीदास ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि अकबर की मृत्यु का समाचार सुना तो वह बेहोश हो गये । जनता में हाहाकार मच गया । यह तथ्य उस सम्राट की लोकप्रियता का सूचक था । एक ऐतिहासिक तमिल ग्रन्थ में लिखा है बनारसीदास द्वारा सदुपदेश देने से भी अकबर काफी प्रभावित हुआ था । ग्रन्थ में लिखा है- अकबर के राज्यकाल में आगरा में बनारसीदास नाम के एक गृहस्थ रहते थे । राजा ने उनको दरबार में बुलाया और कहा कि मैं तुम्हारे साधु जीवन से बहुत प्रभावित हूँ। तुम अपनी इच्छा से कुछ मांग लो। उनका उत्तर था कि परम ब्रह्मा ने (भाग्य ने मुझको आवश्यकता अनुसार से ज्यादा दिया है मुझे कोई जरूरत नहीं है। अकबर ने बार-बार कुछ मांगने का आग्रह किया । बनारसीदास ने कहा कि यदि देना है तो मेरी प्रार्थना है कि मुझे फिर कभी इस राजमहल में ना बुलायें । मेरा समय भगवान की भक्ति आत्म चिन्तन में लगा रहे । राजा ने कहा ऐसा ही होगा। लेकिन एक प्रार्थना है कि आप मुझे कुछ सदुपदेश दीजिये जिन्हें मैं स्मरण कर अनुसरण कर सकूं। बनारसीदास कुछ क्षण विचार कर कहने लगे देखिये " आपका भोजन स्वास्थ्यकर एवं स्वच्छ शुद्ध हो और विशेषकर रात का ध्यान रखें। खाद्य एवं पीने के ऊपर विशेष ध्यान दें । अकबर ने उसे सदैव याद रखने का वचन दिया। जिस दिन उपदेश दिया वह दिन रोजे उपवास का था । राजमहल में संध्या के समय नाना प्रकार के व्यंजन सोने-चाँदी के थालो में सजा कर रखे गये थे । अकबर के सामने रात्री शेष

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