________________
अनेकान्त-57/3-4
गायें थी। वह केवल गाय का दूध पीता था। उसने कभी गोमांस का भक्षण नहीं किया। अकबर का शासनकाल :- मुगल सम्राट अकबर एक राष्ट्रीय शासक था। अकबर ने हिन्दी भाषा के अनेको कवियों को राज्याश्रय प्रदान किया दरबारी कवि यशोगान के साथ सतपथ पर चलने के लिए भी प्रेरित करते थे। उस समय जैन सन्त भी अपने आचार-विचार एवं चारित्रक शुद्धता के कारण विश्व में माने जाते थे। यही कारण है समय-समय पर अनेको राजाओं एवं बादशाहों ने विभिन्न जैनाचार्यों से प्रतिबोध पाकर अपने जीवन को धन्य ही नहीं किया बल्कि जनहित में ऐसे कार्य भी किये जो इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गये हैं। इतिहास के पन्नो को पलट कर देखें तो हमारे पूर्वचार्यों में आचार्य सुहस्तिसूरि ने सम्प्रति राजा को आचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने विक्रमादित्य और कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र ने कुमारपाल राजा को प्रभावित किया इस प्रकार अनेको मुनियों ने विभिन्न मुगल राजाओं पर अपना प्रभाव डालकर उनका जीवन परिवर्तन कर जैनधर्म की प्रभावना की है। यदि सभी पर प्रकाश डाला जाये तो ग्रन्थ के ग्रन्थ तैयार हो जायेंगे लेकिन हम यहाँ आगरा से जिसका विशेष सम्बन्ध रहा है ऐसे सम्राट अकबर का उल्लेख करते हैं।
आगरा में अकबर पर किस प्रकार जैन धर्म का प्रभाव पड़ा उसका एक रोचक किस्सा है। अकबर राजमहल में बैठा राजमार्ग का निरीक्षण कर रहा था। मार्ग में जैनधर्म की जयकारो के साथ एक जुलूस निकल रहा था। राजा ने टोडरमल से जानकारी की। टोडरमल ने बताया कि एक जैन महिला चम्पा नाम की है उसने छह महिने का व्रत-उपवास किया है। केवल रात्री से पूर्व गर्म जल के सिवा कुछ भी खाया-पिया नहीं है। उसके उपवास के 5 माह हो चुके हैं। आज जैनधर्म का कोई विशेष पर्व होने के कारण उत्सव के साथ जिन मन्दिर में दर्शन हेतु जा रही है। राजा को इतनी कठोर साधना का विश्वास नहीं हुआ। उसने परीक्षण हेतु चम्पा बहिन की पालकी को राजमहल में लाने की आज्ञा दी थी। उसने उस महिला की आकृति की परीक्षा की थी। उसका तेजस्वी मुख देखकर तपस्या के विषय में काफी कुछ सत्यता प्रतीत होने पर भी उसकी पूरी परीक्षा करने के लिए एक मास तक अपने एकान्त महल में