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अनेकान्त-57/3-4
4. S Radha Krishnon-Indian Philosophy Vol 1, 2nd edition, P 279 5. (अ) राजवार्तिक पृ. 454 (आ) द्रव्यानुयोग तर्कण 6-9 6. Das Gupta-A History of Indian Philosophy, P 312 7. B. Russil-Analysis of Matter, 1927, P 39 8. Das Gupta- A History of Indian Philosophy 1922, P. 158 9. RussikFR S The Analysis of Matter 1927, P 244-247 10. Das Gupta-A History of Indian Philosophy, P 177
11. (31) B Russil-The Analysis of Matter London 1927 Chap-XXIII
(आ) तत्त्वार्थसूत्र 1-33 पर की हुई राजवार्तिक टीका
(इ) न्यायावतार, 29 की सिद्धर्षिगणि कृत टीका। 12. (अ) गोम्मटसार-कर्मकाण्ड, 894, (आ) हरिवंशपुराण, 58-62 13 गोम्मटसार-कर्मकाण्ड 895 14. Sır Oliver Lodge FRS-Ether and Reality, London, 1930 P 20 15. (अ) हरिभद्रसूरिः-षड्दर्शन समुचयः, 80-85
(आ) श्रीमाधवाचार्य-सर्वदर्शनसंग्रह-चार्वाक दर्शन (इ) सूत्रकृतांग-2-1, 15-21 (ई) आदिपुराण 5, 53-75
(उ) दीघनिकाय-सामञ्जसफलसुत्त 16. (अ) उत्तराध्ययनसूत्र-13-16, 14-21-23 ।
(आ) कुन्दकुन्द-द्वादशानुप्रेक्षा। (इ) बौद्ध साहित्य में 'ससार दुःखमय है' यह चार आर्यसत्यों में एक आर्यसत्य कहा गया है।
धम्मपद 47, दीघनिकाय-महासतिपट्ठानसुत्त। (ई) महाभारत-शान्तिपर्व, 175-1, 174-7-1213 17. (अ) कठोपनिषद् 2-1 (आ) मनुस्मृतिः 12 99, (इ) अंगुत्तरनिकाय 8-2-1-3 18. Sir Oliver Lodge, Ether and Reality P 19 19. तदात्मानमेव वेदहं ब्रह्मास्मीति तस्मात तत्सर्व अभवत। -शत. ब्रा. 143-2-21 20. (अ) आत्मा वा अरे द्रष्टव्यःश्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यः । मैत्रेय्यात्मनो वा अरे दर्शनेन,
श्रवणेन, मत्या, विज्ञानेनेदं सर्व विदितम्। -वृहदा. उपनिषद् 2-4-5 (आ) एवं हि जीवरायो णदव्वो तहय सद्दहेदव्यो। अणुचरिदव्यो य पुणो सो चेव दु मोक्खकामेण।
-समयसार, 1-18