Book Title: Anekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04 Author(s): Padmachandra Shastri Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 3
________________ ans Khilway परमागमस्य बीज निषिद्धजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमथनं नमाम्यनेकान्तम् ।। वर्ष ४५ किरण १ वीर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वीर-निर्वाण सवत २५१६, वि० सं० २०४६ । जनवरी-मार्च १९६२ परम दिगम्बर-गुरु बसत उर गुरु निरग्रंथ हमारे। प्रजली ध्यान अगिनि जिनके घट विकट मदन वन जारे। तजि चौबीस प्रकार परिग्रह पंच महावत धारे। पंच समिति गुपति तीन नयायुत व्रस थावर रखवारे । शुद्धोपयोग योग परिपूरन अधरम चूरन हारे। रत्नत्रय मण्डित तप संजम सहित दिगम्बर धारे। भूख तृषादिक सहत परीषह तीन भवन उजियारे। . मन वच काय निरोध सोधि तिन भवम्रम सब तजि डारे। स्व पर दया सुख सिंधु गुनाकर सील धुरंधर धारे। 'देवियदास' गह्यो तिनको पथ तिन्हि तिन्हि तें सब तारे ॥Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 144