Book Title: Anekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ वार सेवा मरेर लय मोम् मम : : .. अनेकान्ता परमागमस्य बीजं निषिद्धजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमथनं नमाम्यनेकान्तम् ।। वर्ष २९ } वर्ष २० किरण १ । । बीर-सेवा-मन्दिर, २१ दरियागंज, दिल्ली-द वीर-सेवा-मन्दिर, २१ दरियागंज, दिल्ली-६ वीर निर्वाण सवत् २४६३, वि० सं० २०२३ मिल.. अप्रेल सन् १९६७ श्री शान्तिनाथ-स्तवनम् भगवन दर्णयध्वान्तराको पथि मे सति । सज्ज्ञानदीपिका भूयात्संसारावधिवर्धनी ॥ जन्म-जीर्णाटवीमध्ये जनुषान्धस्य मे सतो। सन्मार्गे भगवन भक्तिर्भवतान्मुक्तिदायिनी॥ स्वान्तशान्ति ममैकान्तामनेकान्तं कनायकः । शान्तिनाथो जिनः कुर्यात्सं पतिक्लेशशान्तये ॥ -वादोभसिंह अर्ष-हे भगवन् ! दुर्नय रूप अन्धकार से व्याप्त मेरे मार्ग में प्रापकी भक्ति मोक्ष की प्रकाशक सम्यग्ज्ञान रूप दीपिका होवे । अर्थात् मुझे उस परम ज्ञान की प्राप्ति हो जिममे मेरा प्रज्ञान दूर हो ।। हे भगवन् ! जन्म जरा मरण रूप संसार वन मे जन्माय की तरह भ्रमण करते हुए मुझे, सन्मार्ग में प्रवृत्ति कराने वाली प्रापकी भक्ति मुक्ति देने वाली हो जाय । अनेकान्त अथवा स्याद्वाद के नायक हे शान्तिनाथ जिन ! ससार सम्बन्धी दुःखो को शान्त करने के लिए मेरे अन्तःकरण में दृढ़ शान्ति उत्पन्न करें। अर्थात् प्रापकी भक्ति में मेरे अन्तर्मानम में ऐसी सुदृढ शान्ति उत्पन्न हो, जिमका कभी विनाश न हो सके ।

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 316