Book Title: Anekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06 Author(s): A N Upadhye Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 3
________________ विषय-सूची अनेकान्त के पाठकों से माक विषय पृष्ठ अनेकान्त के प्रेमी पाठकों में निवेदन है कि पिछले प्रक के साथ सदस्य फीस समाप्त हो चकी है। अब यह २०५ नये वर्ष का प्रथमाक है, अतएव इम चालू वर्ष का वार्षिक मूल्य ६) रुपया इस किरण के मिलते ही मनीग्राउंर में भेजने की कृपा करे। अन्यथा अगला अकवी. पी में भेजने में ६० मे अधिक देने होगे। प्राशा है प्रेमी पाठक हम निवेदन पर ध्यान देगे। व्यवस्थाप 'अनेकान्त' बोरसेवामन्दिर २१, दरियागज, दिल्ली २७ १. श्री शान्तिनाथ स्तवनम् - वादी मह २. ग्वालियर के तोमर राजवश के समय जैनधर्म -परमानन्द शास्त्री ३. श्री अतरिक्ष पाश्वनाथ पौली मन्दिर शिरपुर नेमचन्द धन्नूमा जैन ४ ज्ञानार्णव न योग शास्त्र : nक तुलानात्मक अध्ययन-बालचन्द सिध्दान्त शास्त्री ५. रूपक पद (गीत) ---कवि घासीगम ६. चारु कीर्ति-डा० विद्याधर जोहग पुरकर ७ भ. विनयचन्द्र के समय पर विचार परमानन्द जैन शास्त्री ८. धनपाल विचित भविसयतकहा और उसकी रचना तिथि-डा. देवेन्द्र कुमार जैन ६. जैन प्रागमो के कुछ विचारणीय शब्द मुनि श्री नथमल जी १०. श्री गुरुवयं गोपालदास जी वरया प० माणिकचन्द जी न्यायाचार्य १. कविवर प. श्रीपाल-व्यक्तित्व एव कृतित्व HAI कल्लूरचन्द कासलीवाल वीरसेवामन्दिर को सहायता वीर सेवामन्दिर को बाबू निर्मल कुमार जी मुपुत्र ३३ | बाबू नन्दलाल जी सरावगी ने श्रवण बेल्गोल के मस्तका भिपेक मे लौटते हुए वीर सेवामन्दिर मे ठहरे थे । प्रापन २१) रुपया प्रदान किए, इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र व्यवस्थापक वो सेवा मन्दिर, २१ दरियागज दिल्ली Pथा सम्पादक-मण्डल डा० ने० उपाध्ये डाप्रेमसागर जन श्री यशपाल जैन - अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पै० अनेकान्त में प्रकाशित विचारो के लिए सम्पानक मगरल उत्तरदायी नहीं है। व्यवस्थापक अनेकान्तPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 316