Book Title: Anekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 411
________________ विषय-सूची १ ममन्तभद्र-भारतीके कुछ नमूने-मम्पादक पृष्ठ ३८१६ वेदना-गीत (कविता)-पं० चैनसुम्बदास न्यायतीर्थ २ममतभद्र औरदिग्नागमपूर्ववर्ती कौन?[न्या. दरबारीलाल ३८३ महाधवलअथवामहाबंधारप्रकाश-[पं.सुमेरचन्ददिवाकर४०५ ३जेनमादित्यममार्च.नऐi०सामग्रं [वासुदेवनग्रवालनयूरेटर ३६३८ साहित्य-परिचय और ममालोचन ४१७ हनागोर,जयपुरऔर अमेिरके कुछह लिग्रंथोकीसी-म० ३६८ अनेकान्तकाद्विवार्षिकहिसाब-अधिष्ठाता वीरसेवाम.दर'४२१ ५अरबंशभापाके प्रसिद्ध कविपरईधूप परमानन्दशास्त्री ४०.१० मापादकीय (टेप गया) ४२३ वीर-शासन-जयन्तीकी पुण्य-तिथि जिस दिन वीर-शासनका जन्म हुआ-जैनियोंके अन्तिम तीर्थकर श्रीवीर भगवानने केवल-ज्ञानसे सम्पन्न होकर, आजसे कोई २५०० वर्ष पूर्व विपुलाचल पर्वतपर अपना धर्मोपदेश प्रारम्भ किया और उसके द्वारा लोकर्म अहिंमा नया अनेकान्तपर प्रतिष्ठित एवं 'सर्वप्राणिहित' के लक्ष्यमे लक्षिन 'मर्वोदय' तीर्थ प्रयनित हुश्रा-वह पावन दिवम श्रावण कृष्णा प्रतिपदाकी पुण्य तिथि है। इसी दिन वीर-वाणीके द्वारा जीवोको उनके हितका वह सन्देश सुनाया गया जिसने उन्हें ढाबोंमे छूटनेका मार्ग बनाया, दुःस्वकी कारणीभूत भूल सुमाई, वहमोको दूर किया, यह स्पष्ट करके बतलाया कि सभी शान्ति एवं वास्तविक सुग्व अहिंसा और अनेकान्त-दृष्टिको अपनाने है, समतावा अपने जीवनाअंग बनाने में है, अथवा बन्धनमे-परतन्त्रताविभावपरिणतिमे छूटनमे हैं। साथ ही मब भामाश्रीको समान बतलाने हुए, श्रामविकासका सीधा त्या मरल उपाय सुझाया और यह स्पष्ट घोषित किया कि अपना उत्थान और पतन अपने हाथमे है, उसके लिए नितान्त दम पर श्रा. धार रखना, सर्वथा परावलम्बी होना अथवा दूसंगको दोष देना भारी भूल है। और उसके द्वाग पीडित पनिन एवं मार्ग युक्त जनताको यह आश्वासन मिला कि उसका उद्धार हो सकता है । तदनुसार स्त्रीजाति तथा शहापर होने वाले नकालीन अत्याचारीमा स्कावट पैदा हुई और वे सभी जन यथेष्ट म्पमे विद्या पटने नथा धर्ममाधनादिके अधिकारी ममझे जाने लगे। इम तरह यह तिथि संमारके हित और सर्वसाधारणके उत्थान तथा कल्याणके माथ अपना सीधा एवं स्वाम सम्बन्ध रखती है और इस लिए सभीके द्वारा उत्सबके साथ मनाये जानेके योग्य है । हमी लिए इसकी यादगारमे कई वर्षमै वीरमेवामन्दिर परमावामे उन्मव मनानका प्रायोजन किया जाता है। अन्य स्थानोपर भी किया जा रहा है। इस वर्ष यह पावन तिथि 1 जुलाई को रविवारके दिन अवतरित हुई है। इस बार और भी अधिक उत्साहके माय वाग्मेवामन्दिम्मेवारशासनजयन्ती मनाई जायगी और जलमा तातक रहेगा। अत: सर्वसाधारणसे निवेदन है कि वे इस अवसरपर वीरसेवामन्दिरमें पधारकर अपने उम महान उपकारीके उपकार-म्मरण एवं शामन-विवेचनम भाग लेते हुए वह दिन सफल करें और वीरप्रभुके सन्देशको जीवन में उतारने तथा जनताम प्रचारित करनेका रट मंबम्प करें। जो मजन समयपर वीरमेवामन्दिरमै न पायके उन्हें अपने अपने स्थानोपर इम मर्यानिशायी पावन पर्वके मनानेका थायोजन करके अपने कर्तव्यका पालन करना चाहिए। निवेदक जुगलकिशोर मुख्तार अधियाना 'वीरगेवामन्दिर' सरसावा (सहारनपुर)

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