Book Title: Anangdhara Author(s): Veersaagar Jain Publisher: Jain Jagriti Chitrakatha View full book textPage 4
________________ जैन जाग्रति चित्रकथा ००० चन्द्रमा के समान सुन्दरपुत्रीको जन्मदिया। पुत्रीकामा धन्य है। लोदासी यहलो/ ( Adobe मंजीजी! आज हमबहुतखुशहा जाओ-जिन मंदिशे मेअनुष्ठान कराओं वराज्य में मिष्ठान वितरितकराओ। जाआजा महाराजा M 00 महारानी आजहम बहुत खुश है। हम अपनी पुत्रीका (जैसीआपकी च्छास्वामी. नामकरण धमधाम ALLIOPage Navigation
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