Book Title: Anangdhara
Author(s): Veersaagar Jain
Publisher: Jain Jagriti Chitrakatha

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Page 11
________________ विद्याधर सोचता है और वह तीव्र गति से अनंगधरा को ले उड़ा 'अरे ये सैनिक तो (मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रहे हैं ! Ooo. वह घबराकर नीचे देखता है इधर सैनिक अनंग धरा में राजकुमारी को ( लेकर कहीं भाग जाता अरे कहाँ गया!) ? अभी तो यहीं था? 9 सैनिकोो वह बहुततेजी से जा रहा है। देख कहीं भाग न जाय! 0000 नीचे भयानक अटवी देखकर वह सोचता है! क्योंनमें राजकुमारी को इस भयानक अटवी में छोड़‌ दूँ! M तभी विद्याधर अकेला भागता दिखाई देता है। अरे वह रहा दुष्ट पकडो उसे! लेकिन विद्याधर भाग निकला

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