Book Title: Anangdhara
Author(s): Veersaagar Jain
Publisher: Jain Jagriti Chitrakatha

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Page 26
________________ जैन जाव्यति चित्रकथा अनंगधशूका जीव देवगति सैय्यकर राजा द्रोपघकै यहाँ विशल्यानामक पुत्री होतीHI 1000 9/1010 M ००० CARSA Oo OGS GO पर्व तप के प्रभावूसैविशूल्या और इस विशल्या का विवाहराजाकैस्नान किये जलसे रोगों कानाश हो जाता दशरथ के पुत्रलक्ष्मणसे होताहै। वाह! धन्य विशल्याजिसके प्रभाव से मेरा गया। शैग दूरही सिमाप्त जिनधर्म के सिद्धांतों एवं कहानियों का एक जीवंत एवं नवीन माध्यम... जैन जाग्रति चित्रकथा के सहयोगी बने आपका यह सहयोग आबालसंरक्षक : 5000 रुपये मात्र । - गोपाल , किशोरों, युवाओं एवं प्रौढ़ो आजीवन सदस्य : 2100 रुपये मात्र। को तो जान का कारण बनेगा ही साथ ही साथ हमें भी जिनधर्म के प्रचार-प्रसार हेतू प्रोत्साहित करेगा।

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