Book Title: Anangdhara
Author(s): Veersaagar Jain
Publisher: Jain Jagriti Chitrakatha

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Page 10
________________ जैन जाग्रति चित्रकथा सेनापति अपने वीरों के साथ विमानमारा| विद्याधरकैपदिलगगयाral y un सावधान दुष्ट विद्या धूर राजकुमारी को टोड्दी अन्यथा बेमौत मारा > जाया D वहरहादुष्ट, चलो तेज चलो! लेकिन सेनापति उसवारकी काट देताहे | विद्याधर सेनापति की उल्टे आक्रमण कर देता है संभाल इसके बाद सेनापतिएवं अन्ययोदा एक साथ वार करते है। इस आक्रमण से विद्याधरका विमाट जाताह।

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