Book Title: Anangdhara
Author(s): Veersaagar Jain
Publisher: Jain Jagriti Chitrakatha

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Page 3
________________ नगमाया सम्पादक प्रोफसर वीरसागर जैन लेखक: | चित्रांकन जाग्रति मनीष"आर्टसवतोलो TOD (G000000000. 60000000 26 00 000 00 JABARLIA लाखों वर्षों पुरानी बात है। महाविदेह क्षेत्र में पुंडरीक नामक देशथी। उसदेश मेंस्वर्ग केसमान-समस्त वैभव से सुसज्जितश्यक त्रिभुवनानंद नामक नगर था।इस देश में कामदेवतुल्य चक्रवर्ती सम्राट चक्रधर राज्य करतेथे चक्रधर बहुत हीन्यायप्रिय व कुशलशासक थे! उनके राज्य में प्रजा बहुतूही सुखी थी!किसी को कोई दुश्वनहीं था! एक दिनजबराजा चक्रधरनित्या कीभाँति राजदरबारमें_ठेहएथे। तभीमहले से एक दासीने दरबार में प्रवेश किया। ANAL कहोदासी, क्याबातह ०००००००००००० महाराज (कीजय हो!

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