Book Title: Anandghan ni Atmanubhuti 05
Author(s): Kalyanbodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 7
________________ nama.....See) tward inner eyes. wonderful Awon अवधू! नट नागर की बाजी, जाणे न बामण काजी. अवधू! नट नागर की बाजी.... थिरता एक समयमें ठानें, उपजे विणसें तबही; उलट पलट ध्रुव सत्ता राखें, या हम सुनी न कबही...१ एक अनेक अनेक एक फुनी, कुंडल कनक सुभावे; जलतरंग घटमाटी रविकर, अगनित ताही समावे...२ है नांही है वचन अगोचर, नय प्रमाण सप्तभंगी; निरपख होय लखे कोई विरला, क्या देखे मत जंगी?...३ પરમપદદાયી પંચમ પદ सर्वमयी सरवंगी माने, न्यारी सत्ता भावे; आनंदघन प्रभु वचन सुधारस, परमारथ सो पावे...४ Education intomatonal Har P al Us One

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