Book Title: Ahimsa aur Anuvrat
Author(s): Sukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 7
________________ अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी एवं युवाचार्य महाप्रज्ञ के विपुल वाङ्मय में अणुव्रत से संदर्भित विचारों की एक समृद्ध सम्पदा है। विश्वविद्यालय के निर्णय को ध्यान में रखते हुए इनके मौलिक विचारों को एक पाठ्य-पुस्तक में संकलित करने का प्रस्ताव हमारे सामने आया। सागर को गागर में समेटना बहुत कठिन होता है किन्तु छात्रों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में तत्परता से कार्य प्रारंभ किया गया। जिसके फलस्वरूप इस पुस्तक को एक उपयोगी आकार मिला। आचार्यश्री एवं युवाचार्यश्री की जिन पुस्तकों के संदर्भ इस संकलन में लिये गए हैं, वे हैंअणुव्रत के आलोक में - आचार्य तुलसी अणुव्रत-दर्शन -युवाचार्य महाप्रज्ञ अहिंसा तत्त्व-दर्शन -युवाचार्य महाप्रज्ञ गृहस्थ को भी अधिकार है धर्म करने का -आचार्य तुलसी महाश्रमण मुनिश्री मुदितकुमारजी एवं मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी के चिन्तन और मनन का तो लाभ मिला ही, साथ ही इसके प्रयोग पक्ष पर लेखनी चलाकर उन्होंने इस कार्य को आसान बना दिया। मुनिश्री किशनलालजी के आसन, प्राणायाम और यौगिक क्रिया सम्बन्धी प्रयोगों का आकलन भी इसमें हुआ है। हमें आशा एवं विश्वास है कि अहिंसा और अणुव्रत के अध्ययन में छात्रों के लिए यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। 26-11-91 लाडनूं, राज. मुनि सुखलाल आनन्दप्रकाश त्रिपाठी 'रत्नेश' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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