Book Title: Agam ek Parichay Author(s): Madhukarmuni Publisher: Agam Prakashan Samiti View full book textPage 5
________________ [जैन आगम : एक परिचय भारत की दो संस्कृतियाँ हमारे देश भारत में प्राचीन काल से ही मुख्यतः दो संस्कृतियाँ चल रही हैं-प्रथम, श्रमण संस्कृति और दूसरी, वैदिक अथवा वेदानुयायी संस्कृति। . वैदिक संस्कृति - वैदिक संस्कृति के सर्वाधिक प्राचीन और प्रमाणभूत ग्रन्थ चार वेद है। इन वेदों में विभिन्न देवीदेवताओं की प्रार्थनाएँ की गयी हैं और यज्ञ-याग आदि का बहुविध वर्णन है। इनके आधार पर ब्राह्मण और आरण्यक ग्रन्थों की रचना हुई, जिनमें यज्ञ तथा कर्मकाण्ड का विस्तृत वर्णन और विवेचन है। फिर उपनिषद्, गीता, महाभारत, धर्मसूत्र और स्मृतियों की रचना हुई जो वैदिक धर्म-साधना और आचार-विचार के मार्गदर्शक ग्रन्थ माने जाते हैं । सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थों में यज्ञों की विशेष चर्चा होने से वैदिक-संस्कृति का प्रमुख स्वर यज्ञ-याग तथा वर्ण-व्यवस्था रहा। वर्ण-व्यवस्था की प्रधानता के कारण इसका दूसरा नाम ब्राह्मण संस्कृति भी पड़ गया। श्रमण-संस्कृति - दूसरी ओर श्रमण-संस्कृति थी। इसका प्रधान स्वर अहिंसा, आचार-विचार की पवित्रता और कर्मों से सर्वथा मुक्ति का रहा। आज से लगभग २५०० वर्ष पहले तथागत बुद्ध के भारतीय रंगमंच पर प्रवेश के साथ ही श्रमण-संस्कृति की दो धाराएँ हो गई। एक तो अपने मूल रूप में निर्ग्रन्थ श्रमणपरम्परा ही रही और दूसरी का नाम बौद्ध श्रमण-परम्परा पड़ गया। तथागत बुद्ध के शिष्य श्रमण, शाक्य अथवा बौद्ध कहलाने लगे। जबकि राग-द्वेष की ग्रन्थि से रहित अथवा इन ग्रन्थियों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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