Book Title: Agam ek Parichay Author(s): Madhukarmuni Publisher: Agam Prakashan Samiti View full book textPage 3
________________ प्रकाशकीय युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी महाराज के तत्त्वाधान में जैन आगमों का सरल-सारपूर्ण सम्पादन-विवेचनयुक्त प्रकाशन प्रारम्भ किया गया है। इस उपक्रम के प्रति सर्वत्र ही जिज्ञासा व प्रशंसा के भाव व्यक्त किये गये हैं। साथ ही अनेक व्यक्ति, जिनमें श्रावकों से लेकर विद्यार्थी, जैन विद्वान व अनेक अनुसंधित्सु भी है जो यह पुछते हैं कि जैन आगमों में क्या-क्या विषय हैं?, वे कितने हैं?, किसने बनाये हैं?, उनकी व्याख्या, टीका आदि क्या है? इस गूढ़ विषय में ऐसी जिज्ञासा होना सहज भी है। युवाचार्य श्री जी के समक्ष भी अनेक लोगों ने इस प्रकार की जिज्ञासा रखी। उनका समाधान भी किया गया। तभी आपश्री का चिन्तन रहा 'जैन आगमों का संक्षिप्त परिचय प्रत्येक व्यक्ति को सुलभ हो सके इसलिए कुछ लिखना चाहिए।' फलस्वरूप अपने गम्भीर अध्ययन-अनुशीलन के आधार पर आपश्री ने यह निबन्ध तैयार किया है। यद्यपि आकार में यह पुस्तक छोटी है, पर गागर में सागर की भांति इसका विषय बड़ा गहन व व्यापक है। आशा है पाठक इस पुस्तक का अध्ययन कर जैन आगमों के विषय में काफी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। इसो शुभाशा के साथ-- मन्त्री श्री आगम प्रकाशन समिति पीपलिया बाजार, ब्यावर (राज.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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