Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 361
________________ 346 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः एगेण य वणसंडेणं जाव अटो बहूयो खुड्डाखुड्डिायो जाव बहूई उप्पलाई संखाभाई संखवरणाई संखवण्णाभाई संखे एत्थ देवे महिड्डीए जाव रायहाणीए पञ्चत्थिमेणं संखस्स श्रावासपव्वयस्स संखा नाम रायहाणी तं चेव पमाणं 11 / कहि णं भंते ! मणोसिलकस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं श्रावासपवते पराणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स उत्तरेणं लवणममुद्द बायालीसं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ णं मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं यापासपवते पराणत्ते तं चेव पमाणं णवार सव्वफलिहामए अच्छे जाव अट्ठो, गोयमा! दगसीमंते णं आवासपवते. सीतासीतोदगाणं, महाणदीणं तत्थ गतो सोए पडिहम्मति से तेणटेणं जाव णिच्चे मणोसिलए एत्थ देवे महिड्डीए जाव से णं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव विहरति 12 / कहि णं भंते ! मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स मणोसिला णाम रायहाणी ?, गोयमा ! दंगसीमस्स श्रावासपब्वयस्स उत्तरेणं तिरियमसंज्जे दीवसमुद्दे विईवइत्ता अराणमि लवणे एत्थ णं मलोसिलिया णाम रायहाणी पराणत्ता तं चेव पमाणं जाव मणोसिलाए देवे-कणगंक-रयय-फालियमया य वेलं. धराणमावासा / अणुवेलंधरराईण पव्वया होंति रयणमया ॥१॥सू०१५१ // कइ ण भंते ! अणुवेलंधररायाणो पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि अणुवेलंधर-णागरायाणो पराणत्ता, तंजहा-ककोडए कदमए केलासे श्रमणप्पमे 1 / एतेसि णं भंते ! चउराहं अणुवेलंधरणागरायाणं कति श्रावासपव्वया पनत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि श्रावासपव्वया पराणत्ता, तंजहा-ककोडए 1 कदमए 2 कइलासे 3 अरुणप्पभे 4, 2 / कहि णं भंते ! ककोडगस्स अणुवेलंधरणागरायस्म कक्कोडए णामं श्रावासपवते पराणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं लवणसमुद्द बायालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं ककोडगस्स

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