Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 416
________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् : अधिकारः 1 चतुर्थी प्रतिप्रत्तिः / 401 बावीसं वाससहस्साई अंतमुहुत्तोणाई, एवं उक्कोसियावि ठिती अंतोमुहुत्तोणा सव्वेसि पजत्ताणं कायव्वा 5 / एगिदिए णं भंते ! एगिदिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 6 / बेइंदियस्स णं भंते ! बेइंदियत्ति कालो केवचिरं होइ ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं जाव चउरिदिए संखेज्जं कालं 7 / पंचेंदिए ण भंते ! पंचिंदिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं (सहस्स) सातिरेगं 8 / एगिदिए णं अपजत्तए.णं भंते ! कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं जाव पंचिंदिययपज्जत्ता 1 / पजत्तगएगिदिए णं भंते! कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखिजाई वाससहस्साई 10 / एवं बेइंदिएवि, णवरिं संखेजाई वासाई 11 / तेइंदिए णं भंते ! कालयो केवचिरं होति ?, संखेज्जा राइंदिया 12 / चउरिदिए णं भंते ! कालश्रो केवचिरं होति ?, संखेजा मासा 13 / पजत्तपंचिदिए सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 14 / एगिदियस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमब्भहियाइं 15 / बेंदियस्म णं अंतरं कालश्रो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 16 / एवं तेईदियस्स चउरिदियस्स पंचेंदियस्स, अपजत्तगाणं एवं चेव, पजत्तगाणवि एवं चेव 17 // सू० 224 // एएसि णं भंते ! एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचिंदियाणं कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया चरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया एगिदिया अणंतगुणा 1 / एवं अपजत्तगाणं सव्वस्थोवा पंचेंदिया अपजत्तगा चरिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया

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