Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 424
________________ श्रीजीवाज़ीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 पश्चमी प्रतिपत्तिः ) [ 406 कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमणियोया य बायरणियोया य 2 / सुहुमणिश्रोया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 3 / बायरणियोयावि दुरिहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 4 / णियोयजीवा णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, दुविहा पराणत्ता, तंजहासुहुमणिश्रादजीवा य बायरणिोयजीवा य 5 / सुहुमणिगोदजीवा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा- य अपजत्तगा य 6 / बादरणिगोदजीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 7 // सू० 23 // निगोदा णं भंते ! दवट्टयाए कि संखेजा असंखेजा श्रणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा असंखेजा नो अणंता, एवं पजत्तगावि अपजत्तगावि 1 / सुहुमनिगोदा णं भंते ! दवट्ठयाए किं संखेजा असंखेजा. श्रणंता ?, गोयमा ! णो संखेजा असंखेजा णो अणंता, एवं पजत्तगावि अपज्जतगावि, एवं बायरावि पजत्तगावि अपजत्तगावि णो संखेजा असंखेजा णो अणंता 2 / णिश्रोदजीवा णं भंते ! दवट्टयाए किं संखेजा असंखेज्जा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा गणंता, एवं पज्जत्तावि श्रपजत्तावि, एवं सुहुमणिश्रोयजीवावि पजत्तगावि अपज्जत्तगावि, बादरणिोदजीवावि पजत्तगावि अपजत्तगावि 3 / णिश्रोदा णं भंते ! पदेसट्टयाए किं संखेजा ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा श्रता, एवं पजत्तगावि अपजत्तगावि 4 / एवं सुहुमणिपोयावि पज्जत्तगावि अपजत्तगावि य, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं बायरनिगोयावि पजत्तयावि अपजत्तयावि, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं णित्रोदजीवा नव(सत्त)विहावि पएसट्टयाए सव्वे अणंता 5 / एएसि णं भंते.! णिश्रोयाणं सुहुमाणं बायराणं पजत्तयाणं अपजतगाणं दवट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरणियोयपजत्तगा

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