Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 435
________________ 42. ) [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः . पञ्चमो विभागः अपजवसिते, दोरहपि णत्थि अंतरं अप्पाबडं सव्वत्थोवा अचरिमा चरिमा श्रणंतगुणा 3 / (यहवा दुविहा सव्वजीवा सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य, दोराहपि संचिट्ठणावि अंतरपि जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं यंतोमुहुत्तं अप्पाबहुगं सम्वत्थोवा अणागारोवउत्ता सागारोवउत्ता असंखेजगुणा ) सेत्तं दुविहा सव्वजीवा (सिद्धसइंदियकाए जोए वेए कसायलेसा य / नाणुव योगाहारा भाससरीरी य चरमो य // 1 ॥॥सू० 241 // // इति प्रथमा प्रतिपतिः // 2.1 // . . // अथ त्रिविधाख्या द्वितीया प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे से एचमाहंसु तिविहा सव्वजीवा पराणता ते एवमाहंस, तंजहा-सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी 1 / सम्मदिट्ठी णं भंते ! कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठी दुविहे पराणत्ते, तंजहासातीए वा अपजवसिए साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे ते सातीए सपजवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई सातिरेगाई 2 / मिच्छादिट्ठी तिविहे पराणत्ते, तंजहा-साइए वा सपजवसिए अणातीए वा अपजवसिते अणातीए वा सपजवसिते, तत्थ णं जे ते सातीए सपजवसिए से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं यणतं कालं जाव श्रवट्ठ पोग्गलपरियट्ट देसूणं 3 / सम्मामिच्छादिट्टी जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कस्सेणं अंतोमुहुत्तं 4 / सम्मदिहिस्स अंतरं साइयस्स अपजवसियस्स नत्थि अंतरं, सातीयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट५ / मिच्छादिट्ठिस्स अणादीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं, अणातीयस्स सपजवसियस्स नत्थि अंतरं, साइयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं सातिरेगाई 6 / सम्मामिच्छादिट्ठिस्स जहराणेणं

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