Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 406 ) श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः श्रीयस्सवि, अपजत्तगाणं सब्वेसिं अंतोमुहुत्तं, पजत्तगाणं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा सव्वेसि 4 // सू. 234 // बायरे णं भंते ! बायरेत्ति कालो केवचिरं होति ?, जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयो कालश्रो खेत्तथो अंगुलस्स असंखेजतिभागो, बायरपुढविकाइय-अाउतेउवाउकाइयस्स पत्तेयसरीर-बादर-वणस्सइकाइयस्स बायरनियोयस्स [बायरवणस्सइस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयो कालो खेत्तयो अंगुलस्स असंखेजतिभागो पत्तेगसरीरबादरवणस्संतिकाइयस्स बायरनिगोअस्स पुटवीव, बायरणियोयस्स णं जहराणोणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणीयो काल यो खेत्तो अड्डाइजा पोग्गलपरियट्टा ] एतेसिं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीयो संखातीयानो समाश्रो अंगुलअसंखभागो तहाअसंखेजा उ ोहे य बायरतरुअणुबंधो सेसो वोच्छं। उस्सप्पिणि 2 अड्डाइयपोग्गलाण परियट्टा // बेउदधिसहस्सा खलु साधिया होति तसकाए // 1 // अंतोमुहुत्तकालो होइ अपजत्तगाण सव्वेसि // पज्जत्तबायरस्स य बायरतसकाइयस्सावि // 2 // एतेसि टिई सागरोवमसतयुहत्तं साइरेगं / तेउस्स संख राई [दिया] दुविहणियोए मुहुत्तमद्धं तु / सेसाणं संखेजा वाससहस्सा य सव्वेसि // 3 // सू० 235 // अंतरं बायरस्स बायरवणस्सतिस्स णियोंयस्स बायरणियोयस्स एतेसिं चउराहवि पुढविकालो जाव असंखेजा लोया, सेसाणं वणस्ततिकालो 1 / एवं पजत्तगाणं अपजत्तगाणवि अंतरं, ग्राहे य बायरतरु श्रोपनियोए बायरणिोए य कालमसंखेज्जं अंतरं सेसाण वणस्सतिकालो 2 // सू० 236 // अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्सतिकाइया असंखेजगुणा बायरणिोया असंखेजगुणा

Page Navigation
1 ... 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456