Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 394
________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / अ०. 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 379 जच्चे पत्थे जहा पुक्खरोदस्स 6 / कति णं भंते ! समुद्दा पत्तेगरसा पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि समुद्दा पत्तेगरसा पराणत्ता, तंजहा-लवणे वरुणोदे खीरोदे घयोदे 7 / कति णं भंते ! समुद्दा पगतीए उदगरसे णं पराणत्ता ?, गोयमा ! तयो समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पराणत्ता, तंजहाकालोए पुक्खरोए सयंभुरमणे, अवसेसा समुद्दा उस्सरणं खोतरसा पन्नत्ता समणाउसो!, 8 // सू० 187 // कति णं भंते ! समुद्दा बहुमच्छ-कच्छभाइराणा पराणत्ता ?, गोयमा ! तथो, समुद्दा बहुमच्छ-कच्छभाइराणा पराणत्ता, तंजहा-लवणे कालोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा अप्पमच्छकच्छभाइराणा पराणत्ता समणाउसो ! 1 / लवणे णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडि-जोणीपमुहसयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! सत्त मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता 2 / कालोए णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! नव मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पन्नत्ता 3 / सयंभूरमणे णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडि-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा! अद्धतेरस मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता 4 / लवणे णं भंते समुद्दे मच्छाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?,गोयमा! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं पंचजोयणसयाई 5 / एवं कालोए उकोसेणं सत्त जोयणसताई 6 / सयंभूरमणे, जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं दस जोयणसताई 7 // सू० 188 // केवतिया णं भवे ! दीवसमुद्दा नामज्जेहिं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावतिया लोगे सुभा णामा सुभा वराणा जॉव सुभा फासा एवतिया दीवसमुद्दा नामधेज्जेहिं पराणत्ता 1 / केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावतिया अड्डाइजाणं. सागरोवमाणं उद्धारसमया एवतिया दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पन्नत्ता 2 // सू० 186 // दीवसमुद्दा

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