Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 409
________________ 394 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः अणुतरविमाणपुढवी एकवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं 6 // सू० 210 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवइयं उट्ठ उच्चत्तेणं ?, गोयमा ! पंच जोयणमयाई उड्ड उच्चत्तेणं 1 / सणंकुमारमाहिदेसु छजोयणसयाई, बंभलंतएसु सत्त, महासुक्कसहस्सारेसु अट्ठ, पाणयपाणएसु धारणच्चुएसु नव 2 / गेवजविमाणाणं भंते ! केवइयं उड्ड उच्चत्तेणं ?, दस जोयणसयाई 3 / अणुत्तरविमाणाणं भंते ! केवइयं उड्ड उच्चत्तेणं ? एकारस जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं 4 // सू० 211 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा किंसंठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाश्रावलियापविट्ठा बाहिरा य, तत्थ णं जे ते श्रावलियापविट्ठा ते तिविहा पराणत्ता, तंजहा-वट्टा तंसा चउरंसा, तत्थ णं जे ते श्रावलियबाहिरा ते णं णाणासंठिया पराणत्ता, एवं जाव गेविजविमाणा, अणुत्तरोववाइयविमाणा दुविहा पगणत्ता, तंजहा-बट्टे य तंसा य // सू० 212 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवतियं पायामवि खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, जहा णरगा तहा जाव अणुत्तरोववातिया संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से जंबुद्दीवप्पमाणे असंखेजवित्थडा असंखेजाई जोयणसयाई जाव परिक्खेवेणं पराणत्ता 1 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! विमाणा कतिवराणा पनत्ता ?, गोयमा ! पंचवराणा पराणत्ता, तंजहा-किराहा नीला लोहिया हालिदा सुकिल्ला, सणंकुमारमाहिदेसु चउवराणा नीला जाव सुकिल्ला, बंभलोगलंतरसुवि तिवराणा लोहिया जाव सुकिल्ला, महासुकसह. स्सारेसु दुवराणा-हालिदा य सुकिला य, पाणयपाणतारणच्चुएसु सुकिल्ला, गेविजविमाणा सुकिल्ला, अणुत्तरोववातियविमाणा परमसुकिल्ला वराणेणं पराणत्ता 2 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केरिसया पभाए

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