Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 368) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! देवाणं कति समुग्याता पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच समुग्याता पराणत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्धाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्वाते वेउब्वियसमुग्धाते तेजससमुग्धाते एवं जाव अच्चुए 2 / गेवेजाणं आदिला तिरिण समुग्धाता पराणत्ता 2 / सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं खुधषिवासं पञ्चणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! णत्थि खुधापिवासं पचणुभवमाणा विहरंति जाव अणुत्तरोववातिया 3 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवा एगतं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विउवित्तए ?, हंता पभू, एगत्तं विउव्वेमाणा एगिदियरूवं वा जाव - पंचिंदियरूवं. वा पुहृत्तं विउव्वेमाणा एगिदियख्वाणि वा जाव पंचिंदियख्वाणि वा; ताई संखेजाईपि असंखे. जाइपि सरिसाई पिअमरिसाइंपि संबद्धाइपि असंबद्धाइपि ख्वाइं विउध्वंति विउवित्ता अप्पणा जहिच्छियाई कजाई करेंति जाव अच्चुत्रो, गेवेजणुत्तरोववातिया देवा किं एगत्तं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विउव्वि. त्तए ?, गोयमा ! एगत्तंपि पुहुत्तंपि, नो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा विउव्वंति वा विउविस्संति वा 4 / सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं साया सोक्खं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! मणुराणा सदा जाव मणुराणा फासा जाव गेविजा, अणुत्तरोववाइया अणुत्तरा सहा जाव फासा 5 / सोहम्मीसाणेसु. देवाणं केरिसगा इड्डी पराणत्ता ?, गोयमा ! महिडीया महज्जुझ्या जाव महाणुभागा इड्डीए पन्नत्ता जाव अच्चुत्रो, गेवेजणुत्तरा य सब्वे महिड्डीया जार सव्वे महाणुभागा अणिंदा जाव अहमिदा णामं ते देवगणा पराणत्ता समणाउसो ! 6 // सू० 217 // सोहम्मीसाणा देवा केरिसया विभूसाए पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहावेउब्बियसरीरा य अवेउब्वियसरीरा य, तत्थ णं ज़े ते वेउब्वियसरीरा ते हारविराइयवच्छा जाव दस दिसायो उजोवेमाणा पभासेमाणा जाव पडिरूवा, तत्थ णं जे ते अवेउब्वियसरीरा ते णं श्राभरणवसणरहिता

Page Navigation
1 ... 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456