Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 368 ] : / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः हत-विसिट्ठ-दिन्नकालोवयारा सुधोता उक्कोसग (मयपत्ता) अपिट्टपुट्ठा (पिट्ठ निट्ठिजा) मुखइंत-वरकिमदिराणकदमा कोपसन्ना अच्छा वरवारुणी अतिरसा जंबूफलपुवन्ना सुजाता ईसिउट्ठावलंबिणी अहियमधुरपेजा ईसासिरत्तणेत्ता कोमल-कबोलकरणी जाव प्रासादिता विसदिता अणिहुय-मलाव-करणहरिसपीतिजणणी संतोस-तत-बिबोक-हावविन्भम-विलास-वेल्लहलगमणकरणी विरणमधियसत्तजणणी य होति संगाम-देस-कालेकय-रणसमरपसरकरणी कढियाण-विज्जुपयतिहिययाण मउयकरणी य होति उववेसिता समाणा गति खलावेति य सयलंमिवि सुभासवुप्पालिया समरभग्ग-वणोसहयारसुरभिरसीविया सुगंधा पासायणिज्जा विस्सायणिज्जा पीणणिज्जा दप्पणिजा मयणिजा सबिंदिय-गातपल्हायणिजा श्रासला मांसला पेसला (ईसी श्रोट्ठावलंबिणी ईसी तंबच्छिकरणी ईसी वोच्छेया कडुश्रा) वराणेणं उववेया गंधेणं उववेया रसेणं उववेया फासेणं उववेया, भवे एयाख्वे सिया ?, गोयमा ! नो इण8 सम8, वारुणस्स णं समुद्दस्स उदए एत्तो इट्टतरे जाव उदए, से एएण?णं एवं वुच्चति वरुणवरे दीवे 2, तत्थ णं वारुणिवारुणकंता देवा महिड्डीयां जाव पलिश्रोवमट्टितीया परिवसंति. से एएणटेणं जाव णिच्चे सव्वं जोइससंखिज्जे केण नायव्वं वारुणवरे णं दीवे कइ चंदा पभासिंसु वा 31, 1 // सू० 180 // वारुणवरगणं समुद्द खीरवरे णामं दीवे वट्टे जाव चिट्ठति सव्वं संखेजगं विक्खंभे य परिक्खेवो य. जाव अट्ठो, बहूयो खुड्डाखुड्डियायो वावींथो जाव सरसरपंतियाओ खीरोदगपडि. हत्थानो पासातीयायो 4, तासु णं खुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पायपव्वयगा निययपव्वयगा जगतीपव्वयगा दारुपव्वयगा मंडवगा दगमंडवगा दकमालगा दगपासाया उसडगा खडखडगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया. जाव पडिरूवा, पुंडरीगपुक्खरदंता एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव पखिसंति, से एतेणट्रेणं जाव निच्चे जोतिसं सव्वं संखेज्ज

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