Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer

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Page 160
________________ ( १४२ ) 'भगवान् के मोक्ष समय पर कुंथुएं बहुत उत्पन्न हुए जो न चलती उस्त साधू को दृष्टि में न आवे. अर्थात् वे जीव है वा अन्य कुछ चीज है. वो समज मैं न आवे और वे चलेतो मालूम हो कि वे जीव हैं. वे कंथूओं का उत्पन्न होना देखकर बहुत साधु साध्वीयों ने अनशन किया सबब यहथा कि जीव रक्षा में प्रमाद होवे तो संयम पालना मुश्किल था (जीबों का नाश हो जावे ) इसलिये अन्नपाणी त्यागकर पर्मात्म चितवन में लगगये. ते काले तेणं समएणं समणस्स भगवां महावीर - स्स इंदभूइपासुक्खाद्यो चउस समय साहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्या || १३३ ॥ समणस्स भगवच्त्रो महावीरस्स अज्जचंदणापामुक्खायो छत्तीसं अज्जियासाहस्मीथो उक्कोसिया ग्रज्जिया संपया हुत्था ॥ १३४ ॥ समणस्स भगवथो० संखसयगपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी ग्रउणसद्धिं च सहस्सी उक्कोसिया समपोवासगाणं संपया हुत्था ॥ १३५ ॥ समणस्स भगवो० सुलसारेवईपामुक्खाणं समणोवासियाणं तिन्नि सयसाहस्सी अट्ठारससहस्सा उकोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था ।। १३६ ।। समणस्य णं भगव० तिन्नि सया चउदसपुव्वीणं जिणाएं जिसका साणं सव्वक्खरसन्निवाई जिलो विव श्रवितहं वागरमाणाएं उक्कोसिया चउदसपुत्रीणं संपया हुत्था ॥ १३७ ॥ समणस्स० तेरस सया श्रहिनाणीणं असेसपत्ताणं उकोसिया ओहिनाणिपया हुत्था ॥ १३८ ॥

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