Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer

View full book text
Previous | Next

Page 214
________________ ( १६६ ) अज्जधम्मस्स सावयगुत्तस्स अज्जसिंह थरे अंतेवासी का - सवगुत्ते । थेरस्स णं अज्जसिंहस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते । थेरस्स णं अज्जधम्मस कासवगुत्तस अज्जसंडिल्ले थेरे अंतेवासी ॥ वंदामि फग्गुमि - स्तं च गोयमं घणगिरिं च वासिटुं । कुच्छं विभूइंपिय कौसिय दुज्जंतकर हे च ॥ १ ॥ विद्याधर गोपाल से विद्याधरी शाखा आर्यइंद्रदिन को गौतमगोत्र वाले आर्यदिन शिष्य थे, - आर्यदिन के दो शिष्य थे आर्य शांतिसेन माढर गोत्र आर्यसिंह गिरि जाति स्मरण ज्ञान वाले कौशिक गोत्रवाले थे. आर्यगांतिसेन से उच्चानगरी शाखा निकली है उनमें चार स्थविर हुए आर्य श्रेणिक, आर्य तापस, आर्यकुबेर, आर्य ऋषिपाल, आर्यश्रेणिक से श्रेणिक शाखा निकली, आर्य तापस से तापसी, शाखा निकली आर्यकुर से कुवेरी शाखा निकली, आर्य ऋषिपाल से ऋषिपालिक शाखा निकली. आर्य सिंहगिरि के चार बड़े साधु स्थविर थे ( १ ) घनगिरि, वज्रस्वामी आर्यसमिति, आर्य दिन आर्य समित से ब्रह्म दीपिका शाखा निकली. वज्र स्वामी से अज्जवरी ( आर्य वज़ी) शाखा निकली. वज्रस्वामी के तीन स्थविर प्रसिद्ध हुए, आर्य वजूसेन, आर्य पद्म, आर्य रथ. आर्य वज्र से आर्य नाइली ( आर्य नागिली ) शाखा निकली, आर्य पद्म से पद्मा शाखा, और आर्य रथ से आर्य जयंती शाखा निकली हैं. आर्य रथ बहस गोत्र के थे उनके शिष्य कौशिक गोत्र वाले आर्य पुष्प गिरि हुए. उनका शिष्य आर्य फल्गुमित्र गोतम गोत्र वाले थे उनका शिष्य धनगिरि वाशिष्ठ गोत्र के थे उनका शिष्य आर्य शिवभूति कोछस गोत्र के थे उन का शिष्य आर्यभद्र काश्यप गोत्र के थे उनका शिष्य वांही गोत्र के आर्य नक्षत्र शिष्य हुए उनका शिष्य आर्य रक्ष मुनि हुए.

Loading...

Page Navigation
1 ... 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245