Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer

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Page 221
________________ (२०३) जत्थ नई निचोयगानिचमंदणा, नो ने कप्पड़ सध्ययो समंतासकोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतु पडिनियत्ता ।।१।। __एरावई कुणालाए जत्थ चक्रिया लिया, पगं पायं थले किचा, एवं चकिया एवं णं कप्पड़ सवयो ममता सकोसं जोयणं गंतुं पडिनियत्ता ॥ १२ ॥ एवं च नो चकिया. एवं से नो कप्पड़ सन्चयो समता सकोसं जोयणं गंतुं पडिनियत्तए ॥ १३ ॥ ___ जो नदी निरंतर बीच में बहनी हो ना पग रम्न २॥ कोस जाना न करे किन्तु परावती नदी कुणाला में है अथवा गमी नदी जहां हो यहां निग्न्ना न पहनी हो और वहां थोड़ा पानी हो जमीन हो यहां रंनी पर पग ग्ग्य कर जाना फल्पे अर्थात् छोटे नाले वर्षा में चले पाट बंद होवे वहां पर जान में रग्ज नहीं किन्तु जो पानी में पग रखकर जाना पड़े और पानी के जीवों को दाग्य होना हो तो ऐसी जगह गोचरी जाना न कल्प (मिर्फ यह अधिक गार्ग निर्ग हे स्थंडिल के लिये जरूा पड़ धीर दमग रस्ता न होना वहां में भी भागता. वासावासं पजजोमवियाणं अत्यगइयाणं एवं बुलपुलं भवह-दावे भंते ! एवं मे कपड़ दापित्तए, नो से कपड़प. डिगाहित्तए ।। १४ ॥ वासावासं पजामवियाणं अस्थडगाणं एवं बुन्तपुर भवइपडिगाहहि भंते ! एवं से कपड़ पडिगाहिला. ना गं कापड दाविता ॥ १५ ॥ वासावासं० दावे भने ! पडिगाहे भंत : एवं मे कापड़ दावित्तपवि पडिगाहितावि ॥ १६ ॥ गुरु महागनने का श्रावने गोली लान राल वो माया ननु पीमार विमा पार लगा रीमा पानी. ना पीपानी

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