Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer
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चंपिज्जिका, भद्राजिका, काफैदिका, मैग्वलाजिका हुई नीलकुल भट्टयशिक, भद्रगुप्तिक, यशोभत्र हुए.
थेरेहितो ण कोमिड्ढिहिना कोडालसगुत्तेहिंतो इत्थ णं वेसवाडियगणे नामं गणे निग्गए तस्म णं इमानो चत्तारि कुलाई एवमाहिज्जति । से किं तं साहायो ! सा तंजहा:सावत्थिया १ रज्जमालिया २, अंतरिजिया ३, समलिज्जिया ४ । से तं साहायो, से कि तं कलाई ! कलाई एव. माहिन्नंति, तंजहा,-गणियं १ मेहिय २ कामड्डिनं ३ च तह होइ इंदपुरंग ४ च । एयाई वेसवाडिय-गणम चत्तारि उ कुलाई ॥ १॥
कुंडलत गात्री कामाई से वेपत्राडिय गच्छ निकला उसकी चार शाखाए श्रावस्तिका, राज्यपालिका, अंतगनिका नलन्जिका, हुई चार कुल गणित, माहिल. कामार्ड, इंडपुरक.
थेरेहितो णं इसिगुत्तेहितो काकंदरहितो वासिमगुत्तेहिंतो इत्य णं माणवगणे नामं गणे निरगए, तस्ल एं इमाप्रो चचारि साहायो, तिगिण य कुलाई एवमाहिज्जति, से किं तं साहायो ? साहात्रो एवमाहिन्मंति, तंजहा,-कासवः ज्जिया १, गोयमज्जिया २, वासिट्ठिया ३, सोरठ्ठिया ४ से तं साहायो, से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिन्जति, तेजहा, इसिगुत्ति इत्य पढमं १, वीयं इसिदत्तिनं मुणेयचं २ तइयं व अभिजयंतं ३, तिरिण कुला माणवगणस्स ॥१॥ - वाशिष्ट गोत्री ऋषिगुप्त सकाटिक काकंदिस माणवक गच्छनिकला उसकी चार शाखाए कासवर्निका, गाँतमार्जिा, वाशिष्टिका, सारष्किा, तीनकुल, ऋषिगुप्त, रुपिदत्त, अभिजयंत, आर्य मुस्थिन-मुनिबद्धं कोटिक कादि व्या

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