Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer
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(१९३) घापत्य गांववाल से काटिक गच्छ निकला उसकी चार शाखा. उचानागरी, विद्याधरी, वजी. मध्यमा, चारकुल ग्रह्मलित, वत्सलिप्स, वाणिज्य, प्रश्नवाहन हुए उनमें पांचस्थविर आर्यइंदिन मियग्रन्थ, काश्यपगोत्री विद्याधर गोपाल ऋषिदत्त, अईहत्त, हुए मियग्रन्थ से मध्यमा शाखा निकली है.
थेरेहितो सुट्टिय-सुप्पडिबुद्धहितो कोडिय-काकंदएहितो वग्धावच्चसगुत्तेहिंतो इत्थ णं कोडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमारो चत्तारि साहायो, चत्तारि कुलाई एवमाहिजंति । से कि तं साहामो ? साहायो एवमाहिज्जंति, तंजहा-उच्चानागरि १ विज्जाहरी य २ वहरी य ३ मज्झिमिल्ला ४ य । कोडियगणस्स एया, हवंति चत्तारि साहायो॥१॥
से तं साहायो । से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा-पढमित्थ वंभलिज्जं १, विइयं नामण वत्थलिज्जं तु २ । तइयं पुण वाणिज्जं ३, चउत्थयं पण्हवाणयं ४॥१॥ ___ थेराणं सुट्टियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदयाणं वग्याववसगुत्ताणं इमं पंच थेरा अंतेवासी अहावना श्रभिएणाया हुत्था, तंजहा-धरे धज्जइंददिन्ने १ थेरे पियगंधे २ थेरे विज्जाहरगोवाले कासवगुत्ते णं ३ थेरे इसिदिन्ने ४, धेरे अरिहदत्ते ५ । थेरेहिंतो एं पियगंथेहिंतो एत्य एं मज्झिमा माहा निग्गया, थेरेहिंतो एं विज्जाहरगोबालेहितो कासवगुत्तेहितो कासवगुत्तेहिंतो एत्य णं विज्जाहरी साहा निग्गया । थेरम्म. एं प्रज्जइंददिन्नस्स कासगुत्तस्त प्रज्जदिन्न थरे अंतेवामी गोयमसगुत्ते । धेरस्स एं अजदिन्नस्स गोयमसगुनम्र इमे दो घेरा अंतेवासी अहावना अभिगणाया हुत्या, तं०-धेरे

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