Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer
View full book text
________________
(१६१) हरितम गोत्र वाले श्रीगुप्त मुनि से चारण गच्छ निकला उसकी चार शाखाएं:-हाग्नि मालाकारी, संकाशिका गवत, वजनागरी हुई.
सात कुल-वत्सलिप्त, प्रीति धर्मिक, हालित्य, पुष्पमित्र, मालित्य, थार्य चेटक, कृष्ण सख हुए.
थेरेहिंतो एं मिरिगुत्तेहितो हारियमगुत्तेहिनो इत्य एं चारणगणे नामं गणे निग्गए. तस्ल एं इमायो चचारि सा. हानी, सत्त य कुलाई एवमाहिति में किं तं साहायो! सादायो एवनाहिज्जति, तंजहा-हारियमालागारी ?, संका. सीया २, गवेधुया ३, बज्जनागरी ४ । से तं माहायो, से किं तं कुलाई ! कुलाई एवमाहिन्नति, तजहा-पटमित्थ व. स्थलिज्ज १ वीयं पुण पीइधम्मिग्रं २ होइ । तइग्रं पुण हा. लिज्जं ३ चउत्थयं पूममित्तिज्ज ।। १ ।।
पंचमगं मालिज्ज ५ छ8 पुण अज्जवेडयं ६ होइ । म. त्तमयं कण्हासह ७ सत्त कुला चारणगणस्स ॥२॥
थेरेहिंतो भदजसेहितो भारदुदायमगतीहंतो इत्य एं उड्डवाडियगणे नामं गणे निगए, तर ण इमानो चत्तारि साहायो तिरिण कुलाई एवमाहिति में कितं मातायो ! *साहायो एवमाहिज्जति जहा-बपिजिया १ भदिजियार कादिया ३ महालजिया। से तं साहायो से किंत कुलाई! फुलाई एवमाहिज्जति जहा-भद्दमियं १ तह भदगुत्तियं २ तइयं च होई जमभदं ३ । एवाई उडवाडिय-गणस्म तिरणेव य कुलाई ॥ १ ॥
भारद्वायम्र गोत्री भद्रयश मुनि में उद्याटिगगन निकला उसी सम्य,

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245