Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer

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Page 208
________________ (9203) छिपकली की कटी हुई पूंछ उछलती है) ऐसे तीन राशि स्थापन कर तीन लोक fire a score at शिव राज्य सभा में जीनगया गुरु को सब बात सुनाई गुरुन कहा अस बोलकर जीनना बहुत बुरा है फिर जाकर माफी मांगी ( मिथ्या दुष्कृत ढो) वो बोला कि ऐसा नहीं होता चाहे आप भी मेरे से चर्चा करना तब राज्य सभा में गुरु शिष्य का बाद हुआ निकाल नहीं हुआ तब देवी अभिष्टिन दुकान जहां सब वस्तु मिलती थी वहां से तीन वस्तु मंगाई सिर्फ जीव अजीव दो मिले गुरुने राज्य सभा में उसको निकाल दिया. उत्तर और बलिं स्यूह में उत्तर बहि गच्छ निकला है, उसकी चार शाखाएं कोशांबिका, मौरितिका, कोडवाणी, चन्द्र नागरी हुई. श्रार्य मुहस्ति के १२ शिष्य मुख्य थे. आर्यरोहण, भद्रवशा, मेघगणिकामर्द्धि, सुस्थित सुप्रतिवद्ध, रचिन, गेहगुप्त, कृषिगुप्त, श्रीगुप्त, ब्रह्मा सोन array गोत्री आयेगेहरा से उदेह गोत्र निकला. उसकी चार शाखा थी: : थेरेहिंतो णं अज्जरोहणेहिंताणं कासवगुचेर्हितो णं तत्थ णं उद्देहगणे नामं गणे निग्गए, तस्मिमाद्य चत्तारि साहा - श्रो निग्गयायो, छच कुलाई एवमाहिज्जेति । से किं तं साहाथो ? साहाय एवमाहिज्जंति, तंजहा - उदुंबरिज्जिया १ मासपूरिया २, महपत्तिया ३, पुराणपत्तिया ४, से तं साहाय, से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा - पढमं च नागभूयं, विइयं पुण सोमभूइयं होड़ | यह उल्लगच्छ तइ ३ चउत्थयं हृत्य लिज्जं तु ॥ १ ॥ उदंबरिका, मामपूरिका, मनिपत्रिका, पूर्णपत्रिका और हे कुल. नागसून सांमभूतिक, उल्लगच्छ, हस्तलिप्त, नंदित्य, पारिहासक हुए. पंचमगं नंदिज्जं ५, छटुं पुरा पारिहासयं ६ होड़। उद्देइगणस्से च कुला हुंति नायव्वा ॥ २ ॥

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