Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer
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(१७२)
स्त्री की ६४ कलाएं। . . नृत्य, औचित्य. चित्र वाजिंत्र, मंत्र, मंत्र, धन वृष्टि, कलाकृष्टि. संस्कृत चाणी, क्रिया कल्प, ज्ञान, विज्ञान, दभ, जल स्थय गीत. ताल, श्राकृति गोपन श्राराम रोपण, काव्य शक्ति, वक्रोक्ति, नर लक्षण, गन परीक्षा, अश्व परीक्षा वास्तु शुद्धि लघु वृद्धि, शकुन विचार धर्माचार, अंजन योग, चूर्ण योग, गृही धर्म, मुप्रसादन कर्म. सोना सिद्धि. वर्णिका वृद्धि, वाक पाटव, कर लाघक. ललिन चरण, तैलमुरभिकरण, मृत्योपचार, गेहाचार, व्याकरण, पर निराकरण, विणानाद वितंडाबाह, अंकस्थिनि, जनाचार, कुंभक्रम, सारिश्रम, रत्न मरिभेद, लिपि परिच्छेद, वैद्य क्रिया, कामा विष्करण, रसाई, के शवध,शालि खंडन, युख मंडन, कथा कयन, कुसुम ग्रंथन, वरवंश सर्व भाषा विशेप, वाणिज्य. मोज्य, अभिधान परिबान, यथा स्थान प्राभूपण धारण, त्याचरिका और प्रहलिका.
अठाहर लिपि । इंस, भूस, यन, राचस, उडि, यावनी, तुम्की, कीरी, द्राविडी, संघवी, मालवी, वडी, नागरी, भाटी, फारसी, अनिमित्ति, चाणाकी मूल देवी ।
एक से लेकर दश दश गुणी संग्च्या पराध तक संख्या वताई।
ऋषभदेव ने ब्राह्मी कुमारी को जमणे हाथ से अठारह लिपि सिखाई मुन्दरी को गणित सिखाया भरन को काट कम और बाहुबली को पुरुष कलण सिखाये.
___ऋषभदेव के सापुत्र । भरत, बाहुबलि, शंम्ब, विश्वकर्मा, विमल, मुलतण, अमल. चित्रांग, ध्यान कीर्चि, वरदच, सागर, यगांधर, अमर, स्थवर, कायदेव, ध्रुव, वत्सनंद, मुर, मुबंद, कुरू, अंग, बंग, कौगल, वीर, कलिंग, मागध, विदेह, संगम, दशाण, गंभीर, यसुवर्मा, मुवमा, राष्ट्र, साराष्ट्र, बुद्धिकर, विविधिकर, सुयशा यशः कीर्ति, यगस्कर, कीर्तिकर, सुरण, ब्रह्मसन, विक्रांन, नरोत्तम, पुरुपोसम, चंद्रसेन, महासन, नभमेन, भानु, सुकांत, पुष्पयुत, श्रीधर, दुर्दश, सुसुगार, दुर्जय, अजयमान, मुधर्मा, धर्मसन, आनंदन, आनंद, नंद, अपराजित, विश्वसेन, हरियण, जय, विजय, विजयंत, प्रभाकर अरिदमन, मान, महावाहु,

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