Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Author(s): Manikmuni
Publisher: Sobhagmal Harkavat Ajmer

View full book text
Previous | Next

Page 180
________________ ( १६२ ) क्खप्पहीणस्स चउरासीइं वाससहस्साइं विकताई, पंचासी इमस्स वाससहस्तस्स नव वाससयाई विकताई, दसमस्स वाससगस्स अयं असीइमे संवच्चरेकाले गच्छ ॥ १८४ ॥ २२॥ नेमिनाथ मोच गये उसको कल्पसूत्र लिखने के समय ८४६८० वर्ष हो गये थे (नेमिनाथ और महावीर दोनों का निर्वाण का अंतर ८४००० वर्ष का है) नमिस्स णं अरहयो कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पही - ; यस्स पंच वाससय सहस्साइं चउरासी च वाससहस्साइं नव य वाससयाई विकताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे मच्छरे काले गच्छन् || १८५ || २१ || नेमिनाथ से लेकर अजितनाथ प्रभु तक का अंतर बनाया है नेमिनाथ को कल्पसूत्र लिखने के समय ५८४६७० वर्ष हुए. मुणिसुव्वयस्स णं रहयो कालगयस्स इक्कारस वाससरसहस्साई चउरासीनं च वाससहस्साइं नव वाससयाई वि इकताई, दसमस्स य वासस्यस्स अयं असीमे संवच्चरे काले गच्छड़ ॥ ९८६ ॥ २० ॥ मल्लिस णं रह जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पन्नट्ठि वाससयस हस्लाई चउरासीडं च वाससहस्साई नव वासलयाइं विकताई, दसमस्त यं सीहमे संवच्छरे काले ग च्छइ ॥ १८७ ॥ १६ ॥ रस्स णं अरहयो जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स ऐगे वामकोडसहस्मे विते, सेसं जहा मल्लिस्स - तं च एवं पंचसहिं लक्खा चउरासीइं सहस्सा विज्ञकंता, तंमि समए महावीरो निव्वु, तो परं नव वाससया विज्ञकंता दसमम्स य

Loading...

Page Navigation
1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245