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क्खप्पहीणस्स चउरासीइं वाससहस्साइं विकताई, पंचासी इमस्स वाससहस्तस्स नव वाससयाई विकताई, दसमस्स वाससगस्स अयं असीइमे संवच्चरेकाले गच्छ ॥ १८४ ॥ २२॥
नेमिनाथ मोच गये उसको कल्पसूत्र लिखने के समय ८४६८० वर्ष हो गये थे (नेमिनाथ और महावीर दोनों का निर्वाण का अंतर ८४००० वर्ष का है) नमिस्स णं अरहयो कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पही -
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यस्स पंच वाससय सहस्साइं चउरासी च वाससहस्साइं नव य वाससयाई विकताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे मच्छरे काले गच्छन् || १८५ || २१ ||
नेमिनाथ से लेकर अजितनाथ प्रभु तक का अंतर बनाया है नेमिनाथ को कल्पसूत्र लिखने के समय ५८४६७० वर्ष हुए.
मुणिसुव्वयस्स णं रहयो कालगयस्स इक्कारस वाससरसहस्साई चउरासीनं च वाससहस्साइं नव वाससयाई वि इकताई, दसमस्स य वासस्यस्स अयं असीमे संवच्चरे काले गच्छड़ ॥ ९८६ ॥ २० ॥
मल्लिस णं रह जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पन्नट्ठि वाससयस हस्लाई चउरासीडं च वाससहस्साई नव वासलयाइं विकताई, दसमस्त यं सीहमे संवच्छरे काले ग
च्छइ ॥ १८७ ॥ १६ ॥
रस्स णं अरहयो जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स ऐगे वामकोडसहस्मे विते, सेसं जहा मल्लिस्स - तं च एवं पंचसहिं लक्खा चउरासीइं सहस्सा विज्ञकंता, तंमि समए महावीरो निव्वु, तो परं नव वाससया विज्ञकंता दसमम्स य