Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 412
________________ तेरहवां प्रकरण : ७०६-७१३ निक्खेवाणुओगदारे निष्कण्ण-पदं सुतालाब ७०६. से किं तं सुत्तालावग निष्कण्णे ? सुत्तालाव गनि फण्णे इयाणि सुत्तालागनिष्कण्णे निक्खेवे इच्छावेद से य पत्तलक्खणे विन निक्खिप्पड कम्हा ? लाघवत्यं । अओ अस्थि are अणुओगदारे अणुगमेति । तत्थ निक्खित्ते इहं निखित्ते भवइ, इहं वा निक्खित्ते तत्य निक्खित्ते भवइ, तम्हा इहं न farares तह चैव निक्खिप्पि स्स से तं निश्लेवे ॥ अणुगमाणुओगदार पद ७१०. से कि तं अणुगमे ? अनुगमे विहे पण्णत्तं तं जहा सुतायुगमे यनिज्जुत्तिअणुगमे य ॥ ७११. से कि तं नितिअनुगमे ? निगमे तिविहे पण ते तं जहा निक्लेवनिति अणुग मे उवग्याय नियुक्ति अणुगमे फासियनिज्जुत्तिअणुगमे ॥ सुत ७१२. से कि त निक्लेव निज्जुलिअणुगमे ? निक्खेव निज्जुत्तिअणुगमे अगए । से तं निक्लेव निज्जुत्तिअनुगमे ॥ ७१३. से कि तं वग्धायनिज्जुतिअणुगमे ? उदग्धायनिज्जुत्ति अनुगमे इमाहि दोहि दारगाहाहि अगंतव्वे, तं जहा१. उसे २. निसे य, ३. निग्गमे ४. खेत्त ५. काल ६. पुरिसे य ७. कारण ८. पच्चय ६. लक्खण, १०. नए ११. समोयारणा १२. मए ॥१॥ १३. किं १४. कइविहं १५. कस्स १६. कहि, Jain Education International निक्षेपशनुयोगद्वारे सूत्रालापकनिष्पन्न-पदम् अब किस सूत्रालायक ? सूत्रालापकनिष्पन्नः इदानीं सूत्रालापक निष्पन्नः निक्षेपः एषयति, स च प्राप्तलक्षणोऽपि न निक्षिप्यते, कस्मात् ? लाघवार्थम् अस्ति तृतीयः अनुयोगद्वारं अनुगमः इति । तत्र निक्षिप्त: इह निक्षिप्तः भवति, इह वा निक्षिप्तः तत्र निक्षिप्त: भवति, तस्माद् इह न निक्षिप्यते तत्र चैव निक्षेप्स्यते । स एष निक्षेपः । सूत्रालापक- निक्षेप अनुयोगद्वार सूत्रालापक निष्पन्न पद ७०९. वह सूत्रालापक निष्पन्न निक्षेप क्या है ? सूत्रालापक निष्पन्न निक्षेप यहां सूत्रालापक निष्पन्न निक्षेप के प्रतिपादन का अवसर है, उसका लक्षण प्राप्त होने पर भी वह निक्षिप्त नहीं किया जा रहा है। इसका हेतु क्या है ? पाठ का विस्तार न हो इस दृष्टि से । इससे आगे तृतीय अनुयोगद्वार अनुगम है, वहां निक्षिप्त यहां निक्षिप्त है और यहां निक्षिप्त वहां निचिप्त है इसलिए इसे वहां निक्षिप्त न कर वहीं निक्षिप्त किया जाएगा । वह निक्षेप है । अनुगमानुयोगद्वार पदम् अथ कि स अनुगम: ? अनुगमो द्विविधः प्रज्ञप्तः तथा सूत्रानु गमश्च निर्युक्त्यनुगमश्च । अथ किं स निर्युक्त्यनुगमः ? निर्मुक्त्यनुगमस्त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा निक्षेपनिर्युक्त्यनुगमः उपोद्घातनिगमः सूत्रपशिष निर्मुक्त्यनुमः । अथ किस निक्षेप निर्युक्त्यनुगमः ? निक्षेपनिर्युक्त्यनुगमेः अनुगतः । स एष निक्षेपनिर्युक्त्यनुगमः । अथ कि स उपोद्घातनिर्युक्त्यगुगमः ? उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम:आभ्यां द्वाभ्यां द्वारगाथाभ्यामनु गन्तव्य, तद्यथा१२. निरथ, ३. निर्गमः ४. क्षेत्रं ५. काल: ६. पुरुषश्च । ७. कारणं ८. प्रत्ययः ९. लक्षणं, १०. नयः ११,१२. समवतारणाऽनुमतम् ॥१॥ १३. किं १४. कतिविधं १५. कस्य १६. क्य For Private & Personal Use Only अनुगम अनुयोगद्वार-पव ७१०. वह अनुगम क्या है ? ३७५ अनुगम के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेसूत्र अनुगम और निति अनुगम ७११. वह नियुक्ति अनुगम क्या है ? निर्युक्ति अनुगम के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे निशेष निति अनुगम, उपोदयात नियुक्ति अनुगम और सूस्पतिक नियुक्ति अनुगम ७१२. वह निक्षेप नियुक्ति अनुगम क्या है ? निक्षेप निर्मुक्त अनुगम" [० ६१० में] बताया जा चुका है। वह निक्षेप नियुक्ति अनुगम है । ७१३. वह उपोद्घात नियुक्ति अनुगम क्या है ? उपोद्घातनिर्युक्ति अनुगम " - वह इन दो द्वार गाथाओं से ज्ञातव्य हैं, जैसे-१.२. ३. निम, ४. क्षेत्र, ५ काल, ६. पुरुष, ७. कारण, ८. प्रत्यय, ९. लक्षण, १०. नय, ११. समवतार, १२. अनुमत, १३. क्या, १४. कितने प्रकार का, १५. किसका १६. कहां, १७. किनमें, १८. कैसे १९. कितने काल तक, २०. कितने, २१. अन्तर काल, २२. अविरह काल, २३. भव, २४. आकर्ष २५. स्पर्शन, २६. निरुक्ति । इन छब्बीस हेतुओं से उपोद्घात 1 www.jainelibrary.org

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