Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 446
________________ परिशिष्ट : ४ शब्दविमर्श : शब्दानुक्रम १४९ ३२७ २३८ २८० आन अपान आपण आयाम आराम आवलिका इन्द्र कार्तिकेय...."कोट्टक्रिया २४४ २३८ ३२६ १७९ २३८ २८० ३२७ २४४ १८० १८. १७९ १५,३२७ १५ २७ अंग अकेवली अक्ष या कौडी अक्षर अजीवोदयनिष्पन्न अट्टालक अद्धापल्योपम अध्ययन अध्यवसाय अनावरण अनुज्ञा अनुप्रेक्षा अनुयोग अनुयोगद्वार अन्तर अप्रदेशार्थता अप्रशस्त भावोपक्रम अमत्र अमीलित अमोघा अर्थाधिकार अर्थोपयोग अद्धभार अर्पितकरण अर्हत अल्पबहुत्व अवट अविरुद्ध अवेदन अव्यत्यानेडित असिद्ध असवलित आत्मागम, अनन्तरागम, परम्परागम उंदुरुक्क उच्चत्व उत्पन्नज्ञानदर्शनधर उदयनिष्पन्न उद्देश उद्धारपल्योपम उद्यान उव्वेह ऊरु एकग्रहणगृहीत औपनिधिकी कड़छी कण्ठोष्ठविप्रमुक्त कपिहसित ३२७ १०० १०५ २३९ 000000 ०००RGGG27. १८२ ३४६ कल्प ३७ २३५ काण्ड कानन काल काष्ठाकृति कुप्रावनिक १८० कुशल २७७ २३७ ३४ १८१ २५ १८० २५ ३१९ ० कृत्स्न केवली कौटुम्बिक क्षायोपशमिक आचारधर क्षायोपशमिक गणि ० ० 10. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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